जाने अनजाने
कई सपने
हमारे इर्द-गिर्द
मँडराने लगते हैं
कुछ सपने
जो हमारी पहुँच में होते हैं
उन्हें पूरा करने के लिए
हम जी जान लगा देते हैं
पर जरूरी तो नहीं
सब कुछ
प्राप्य की ही श्रेणी में हो
अथक प्रयासों के बावजूद
कुछ सपने पूरे होने के
आसार नजर नहीं आते|
लोमड़ी जानती थी
वह अंगूर नहीं पा सकती
तो उसने कह दिया
अंगूर खट्टे हैं
नर्तकी जानती थी
वह अच्छा नाच नहीं सकती
उसने आँगन को ही टेढ़ा कहकर
राहत की साँस ली
तो दो जुमले बने
“अंगूर
खट्टे हैं”
“नाच न
जाने आँगन टेढ़ा”
इनका प्रयोग हम
किसी का मखौल उड़ाने के लिए ही करते हैं
अब इस तरह से सोचते हैं
परिश्रम किया
फल मिला तो ठीक है
सफल न हुए
तो अंगूर को खट्टा, या
आँगन को टेढ़ा कहने में
हर्ज़ ही क्या है
यह कहकर हम
इस अपराधबोध से
मुक्ति तो पा सकते हैं
कि हम इस काबिल ही नहीं कि
अपने सपने पूरे कर सकें
दार्शनिकता का यह निराला अंदाज
हमें कभी निराश नहीं होने देगा|
ऋता शेखर “मधु”
न कर पाने पर अपनी असमर्थता से बचने के लिए हम ऐसा करते है,,,,
जवाब देंहटाएंरचना में मुहावरों का प्रयोग अच्छा लगा,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
हम आशावादी बनें रहें ऐसे विचार सदा ही भले .... सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ... आभार
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सुन्दर रचना..ऋता..शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उत्कृष्ट रचना..
जवाब देंहटाएंअच्छी सोच के साथ सभी काम अच्छे होते है..
:-)
कुंठाएं घेर लें इससे तो ये अंदाज़ ही भला.....
जवाब देंहटाएंदिल के बहलाने को ये ख़याल अच्छा है...है न???
सस्नेह
अनु
पर अपराध बोध क्यूँ .... सामर्थ्य से बढ़कर
जवाब देंहटाएंसमय से हटकर जो नहीं हुआ ... उसे मान ही लें तो क्या हर्ज़ है ?
दूसरे पर आरोप क्यूँ ? क्यूँ बनें लोमड़ी या असफल नर्तकी का झूठ !
निराशा क्षणिक है , क्योंकि जो चाहता है वह उठता ही है हर हाल में
बहुत सच्ची बात कही हैं आपने !
जवाब देंहटाएंगहरी सोच ...!
आभार !
बहुत आभार शास्त्री सर !!
जवाब देंहटाएंअपनी खिसियाहट दूर करने को बहाने हैं ये तो -चेकिन इनसे भी कुछ सीखा ही है ,आगे के लिये !
जवाब देंहटाएंदिल को बहलाने के लिए ये ख़याल अच्छा है पर मैं कहूँगी की औरों को बहलाने के लिए ही कह सकते हैं दिल तो सब जानता है अन्दर अन्दर हमे ही कचौटे गा ----विचारणीय पोस्ट
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
सुंदर !
जवाब देंहटाएंदूसरे पर दोष डालने से बेहतर तो है कि खुद को योग्य बनाने का प्रयास करें .... मन को समझा लेने से प्रयास में कमी आजाएगी ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर। मजा आ गया पढकर।
जवाब देंहटाएंईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
खूबसूरत सोच.
जवाब देंहटाएंवास्तव में हर्ज़ ही क्या है!!??
अंगूर भी खट्टे हैं और आँगन भी टेढ़ा है!
ईद और उम्मीद कायम रहे!
आशीष
--
द टूरिस्ट!!!
बहुत अच्छा लगा आपकी यह प्रस्तुति पढकर.
जवाब देंहटाएं'अंगूर खट्टे हैं', 'नाच न जाने आँगन टेढ़ा'
का अच्छा मतलब समझाया आपने.
मनसा वाचा कर्मणा
जवाब देंहटाएंफालोअर्स और ब्लोगिंग
2 हफ़्ते पहले
का हो चुका है ऋता जी.
आपका इन्तजार है.
padkar anand aa gaya. saath mee bhavarth bhi. sunder ati sunder.
जवाब देंहटाएंsunder ati sunder.
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