ईश्वर के वरदान से मिले मनुज का रूप
बल विवेक अरु बुद्धि से सहते छाया- धूप
उर जब निश्छल हो सदा प्रभु आते हैं पास
कुछ तो इस संसार में कर जाएँ हम खास
हर मौन सिर्फ़ मौन नहीं होता
तूफ़ान के पहले की शांति तो नहीं
चीत्कार भरा हो अंतर्मन में जब
खामोशियों की यह भ्रांति तो नहीं.
दिखता जब नूर वह चेहरे का पानी है
झुकती हुई पलकों में लाज का पानी है
तीन चौथाइ धरा पर पानी का है राज
शुद्धता मिले नहीं वह आज का पानी है
जो बीत गई वो बात गई
क्या सच में ऐसा होता है
गुजरे लम्हों की चादर पर
इतिहास पसरकर सोता है|
विगत की भूलों से सीखकर
जो स्वप्न के मोती बोता है
वह इंसां अपने जीवन में
खुद पर ही कभी न रोता है|
छमछम नाच रही हैं बूँदें
पावस छेड़े मधुर तराना
मिलन-विरह की यही कहानी
लगे सुहाना या वीराना |
..........ऋता
जवाब देंहटाएंछमछम नाच रही हैं बूँदें
पावस छेड़े मधुर तराना
मिलन-विरह की यही कहानी
लगे सुहाना या वीराना |
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब प्रस्तुति,,,
जी बहुत सुंदर रचना, क्या बात
जवाब देंहटाएंकांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/like.html#comment-form
बहुत खूब, आभार
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें
दिखता जब नूर वह चेहरे का पानी है
जवाब देंहटाएंझुकती हुई पलकों में लाज का पानी है
तीन चौथाइ धरा पर पानी का है राज
शुद्धता मिले नहीं वह आज का पानी है ..
वाह ... गज़ब का भाव ... पानी के हर रंग को एक ही छंद में उतार दिया ...
सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआपने फेसबुक पर भी डाला था न इसे...याद आ रहा है! :)
जवाब देंहटाएंजो बीत गई वो बात गई
जवाब देंहटाएंक्या सच में ऐसा होता है
गुजरे लम्हों की चादर पर
इतिहास पसरकर सोता है|
सभी बहुत सुन्दर ...ये सबसे अच्छी लगी।
छमछम नाच रही हैं बूँदें
जवाब देंहटाएंपावस छेड़े मधुर तराना
मिलन-विरह की यही कहानी
लगे सुहाना या वीराना |
बहुत खूब
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तेरी ज़रूरत है !!
बहुत अच्छा। आप एक प्रेरणा हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा। आप एक प्रेरणा हैं।
जवाब देंहटाएंbundon ke saath shabd bhi naach rahe... :)
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