जोशीला हर प्रान्त हिन्द का...(आल्हा छंद)
हूँक भरो तुम वीर बंकुरो , भरो धनुष में तुम टंकार
मातृभूमि पर आँच न आए,करो दुश्मनों का संहार
भारत देश जान से प्यारा, भारतवासी की यह शान
जाग उठो अब वीर सपूतो, आजादी की रख लो आन
ऋषियों के यह तपोभूमि है, और वीरों की करमभूमि
गाँधी गौतम भगत संग हे, नमन तुझे ओ भारतभूमि
घर के भीतर जो विरोध हो, संकट में होते हम एक
मुट्ठी -सा बल बनी एकता, दिखती हैं अँगुलियाँ अनेक
पूरब हो या फिर पश्चिम हो, केरल हो या फिर कश्मीर
जोशीला हर प्रान्त हिन्द का, संस्कारों में खूब अमीर
.................ऋता
जोशीला हर प्रान्त हिन्द का..
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं देश को !
आपकी यह रचना आज शनिवार (03-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंऊपरी विभाजनसे क्या होता , अंतर्निहित (सांस्कृतिक)सूत्र एक ही है .
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरणादायक जोशिली रचना..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (04-08-2013) के चर्चा मंच 1327 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंप्यारा आल्हा छंद लिखा है, नवयुवकों को है संदेश
जवाब देंहटाएंरिश्ते-नाते, संगी-साथी , सबसे पहले अपना देश ||
सोलह -पंद्रह पर यति आये, गुरु-लघु अंतिम दें आनंद
रचा ऋता शेखर मधु जी ने,कितना सुंदर आल्हा छंद ||
आदरणीया , बधाई..................
सुन्दर आल्हा छंद ..बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंवाह वाह………जोश भरा शानदार गीत……… जय हिन्द |
जवाब देंहटाएंऋषियों के यह तपोभूमि है, और वीरों की करमभूमि
जवाब देंहटाएंगाँधी गौतम भगत संग हे, नमन तुझे ओ भारतभूमि ..
नमन है देश की धरती को ... अमर सपूतों को ... बहुत ही सुन्दर, जोश भरते आल्हा ...