'भगिनी का सुत काल है’, सुनकर सिहरा कंस।
शिशु वध करने के लिए, भाई बना नृशंस।।
गर्भवती जकड़ी गई, हा! कैसा था पाप।
वसुदेव संग देवकी, झेल रही संताप।।
चमक रही थी दामिनी, गरजा था घन घोर।
रखवाले बेसुध हुए, नींद पड़ी अति जोर।।
कारा में गूँजा रुदन, खुली लौह जंजीर।
पुत्र आठवाँ देखकर, माता हुई अधीर।।
भाद्र कृष्णपक्ष अष्टमी, जनमे कृष्णकिशोर।
मनहर श्यामल वर्ण में, मुसकाएँ चितचोर।।
मामा से कैसे बचे, शिशु अपना नवजात।
चिंता में वसुदेव की, बीत रही थी रात।।
घटाघुप्प अंधकार में, बारिश का था जोर।
माथ टोकरी धर चले, वृंदावन की ओर।।
हाथ दिखे नहिं हाथ को, छुपी तरेंगन छाँव।
यमुना भी उपला गई, छूने प्रभु का पाँव।।
वृंदावन के गाँव में, इक थे बाबा नंद।
जनमी थी उनकी सुता, पसरा था आनंद।।
कान्हा को ले गोद वसु, गए मित्र के द्वार।
बतलाई सारी कथा, साथ किया मनुहार।।
बिटिया अपनी दो हमें, बोले कर अनुरोध।
सुत के बदले में सुता, शांत करेगा क्रोध।।
शिशु रोया जब भोर में, विहँस पड़ा नृप कंस।
मुट्ठी बाँध उठा लिया, किया अनर्थ विध्वंस।।
सुता उड़ी आकाश में, बोली कर अट्टहास।
भगिनी सुत कहिं और है, तुझे नहीं आभास।।'
होनी तो होकर रही, कोई सका न रोक।
कान्हा बन प्रभु आ गए, बिखर गया आलोक।।
-ऋता शेखर 'मधु'
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ............
यह रचना अनुभूति पर प्रकाशित है...
http://www.anubhuti-hindi.org/sankalan/nandlal/2013/ritashekhar_madhu.htm
जवाब देंहटाएंहोनी तो होकर रही, कोई सका न रोक।
कान्हा बन प्रभु आ गए, बिखर गया आलोक।।
बिखर गया आलोक जब तुम्हारी कलम उठी
कान्हा की मुस्कान चहुँ और बिखर गई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनोहारी रचना,,,
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ,,,
RECENT POST : पाँच( दोहे )
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राजेंद्र जी !!
हटाएंवाह ...
जवाब देंहटाएंसुंदर सामयिक पंक्तियाँ !
बधाई !
बहुत प्यारी रचना है।
जवाब देंहटाएंसौ स्वप्न, दो स्वरूप हैं-
मन मीरा भी, राधिका भी।
हरि-भक्ति जो धूप है,
मैं गाथा भी, गीतिका भी। :)
एक मीत और एक दीवानी
हटाएंदोनो की अपनी अलग कहानी
एक बसी कान्हा के मन में
एक के मन में कान्हा बसते
हरि भक्ति का रूप हैं दोनो
सदियों से बात सभी ने मानीः)
....आभार गीतिका !!
वाह ॥पूरा चित्र खींच दिया ... सुंदर
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की आपको भी बधाई और शुभकामनायें
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 29/08/2013 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः8 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
शुक्रिया दर्शन जाँगरा जी !!
हटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंकृष्णा जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ....
:-)
बहुत सुन्दर..वाह !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ... श्री कृष्ण जन्म प्रसंग को दोहों में उतार दिया ... बहुत ही लाजवाब दोहे ... जन्माष्टमी की बधाई ...
जवाब देंहटाएंप्रशंसा में क्या लिखूँ ....
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
♥ जय श्री कृष्ण ♥
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♥ जय श्री कृष्ण ♥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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भाद्र कृष्णपक्ष अष्टमी, जनमे कृष्णकिशोर।
मनहर श्यामल वर्ण में, मुसकाएँ चितचोर।।
क्या कहा जाए इस सुंदर प्रविष्टि के लिए ऋता शेखर 'मधु'जी !
वाह ! वाऽह…! और... वाऽहऽऽ…!
पिछली पोस्ट का गीत राधे को कान्हा तूने काहे सताया... भी बहुत अच्छा लगा , आभार !
उत्तरोतर सुंदर सृजन के लिए साधुवाद !
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मंगलकामनाओं सहित...
राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुन्दर रचना ।
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