सरस्वती वंदना—हरिगीतिका छंद
यह शीश कदमों पर नवा कर,
कर रहे हम वन्दना |
माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, ज्ञान की
है कामना||
अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार
है |
उर में हमारे तुम पधारो,
पंचमी त्यौहार है |१|
धारण मधुर वीणा किया है,
दे रही सरगम हमें|
संगीत से ही तुम पढ़ाती, एकता हर पाठ में||
बस शांति हो संदेश अपना,
दो हमें यह भावना|
भारत वतन ऐसा बने, हो, सब जगह सद्भावना|२|
पद्मासिनी करिये कृपा अब, हो सुवासित
यह जहां
हंस पर जब माँ विराजें , शांति छा जाती यहाँ||
माता करो उपकार हमपर,
कर रहे हम साधना|
साकार हों सपने सभी के, कर रहे आराधना|३|
इस ज़िन्दगी की राह भीषण, पत्थरों
से सामना|
नहिं ठोकरें खा के गिरें, माँ, बुद्धि
दे सँभालना||
तेरे बिना कुछ भी नहीं हम, सब जगह अवरोध है|
हों ज्ञान-रथ के सारथी हम, यह सरल अनुरोध है|४|
तूफ़ान में पर्वत बनें हम, शक्ति इतनी दो हमें|
तेरे चरण- सेवी रहें हम,
भक्ति भी दे दो हमें||
करते तुझे शत-शत नमन हम,
हो न तम का सामना|
आसक्त तुझमें ही रहें हम, बस यही है कामना|५|
ऋता शेखर 'मधु'
बस यही है कामना ...
जवाब देंहटाएंशुभ हो !!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सरस्वती वंदना,,,
जवाब देंहटाएंrecent post: बसंती रंग छा गया
करते तुझे शत-शत नमन हम, हो न तम का सामना|
जवाब देंहटाएंआसक्त तुझमें ही रहें हम, बस यही है कामना ।
बिल्कुल सही कहा ... बसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएँ
शत-शत नमन,खूबसूरत भावना और लयबद्ध रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया शास्त्री सर !!
हटाएंवीणावादिनी वर दे ...
जवाब देंहटाएंसादर नमन ।।
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें
आदरेया ।।
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कामना जी,सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत ही सुन्दर कामना ... माँ शारदे को नमन ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पंक्तियाँ ..... वहा बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार है |
जवाब देंहटाएंउर में हमारे तुम पधारो, पंचमी त्यौहार है |१|
धारण मधुर वीणा किया है, दे रही सरगम हमें|
संगीत से ही तुम पढ़ाती, एकता हर पाठ में||
बहुत सुंदर
वाह!
जवाब देंहटाएंज्ञान की इस आस में, जीता रहूँ हर साँस में;
की,
माँ भगवती पूरी करें अब हर एक की मनोकामना...
यह शीश कदमों पर नवा कर, कर रहे हम वन्दना,
माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, ज्ञान की है कामना....