शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार है - ऋता



सरस्वती वंदनाहरिगीतिका छंद   

यह शीश कदमों पर नवा कर, कर रहे हम वन्दना |
माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, ज्ञान की है कामना||

अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार है |
उर में हमारे तुम पधारो, पंचमी त्यौहार है ||

धारण मधुर वीणा किया है, दे रही सरगम हमें|
संगीत से ही तुम पढ़ाती, एकता हर पाठ में||


बस शांति हो संदेश अपना, दो हमें यह भावना|
भारत वतन ऐसा बने, हो, सब जगह सद्‌भावना||

पद्‌मासिनी करिये कृपा अब, हो सुवासित यह जहां
हंस पर जब माँ विराजें , शांति छा जाती यहाँ||

माता करो उपकार हमपर, कर रहे हम साधना|
साकार हों सपने सभी के, कर रहे आराधना||

इस ज़िन्दगी की राह भीषण, पत्थरों से सामना|
नहिं ठोकरें खा के गिरें, माँ, बुद्धि दे सँभालना||

तेरे बिना कुछ भी नहीं हम, सब जगह अवरोध है|
हों ज्ञान-रथ के सारथी हम, यह सरल अनुरोध है||

तूफ़ान में पर्वत बनें हम, शक्ति इतनी दो हमें|
तेरे चरण- सेवी रहें हम, भक्ति भी दे दो हमें||

करते तुझे शत-शत नमन हम, हो न तम का सामना|
आसक्त तुझमें ही रहें हम, बस यही है कामना||

ऋता शेखर 'मधु'

14 टिप्‍पणियां:

  1. करते तुझे शत-शत नमन हम, हो न तम का सामना|
    आसक्त तुझमें ही रहें हम, बस यही है कामना ।

    बिल्‍कुल सही कहा ... बसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएँ

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  2. शत-शत नमन,खूबसूरत भावना और लयबद्ध रचना

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  3. सादर नमन ।।
    शुभकामनायें
    आदरेया ।।

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  4. सुन्दर कामना जी,सार्थक रचना

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  5. बहुत ही सुन्दर कामना ... माँ शारदे को नमन ...

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  6. बहुत उम्दा पंक्तियाँ ..... वहा बहुत खूब
    मेरी नई रचना
    खुशबू
    प्रेमविरह

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  7. अज्ञान में संतान तेरी, ज्ञान की मनुहार है |
    उर में हमारे तुम पधारो, पंचमी त्यौहार है |१|

    धारण मधुर वीणा किया है, दे रही सरगम हमें|
    संगीत से ही तुम पढ़ाती, एकता हर पाठ में||

    बहुत सुंदर

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  8. वाह!

    ज्ञान की इस आस में, जीता रहूँ हर साँस में;
    की,
    माँ भगवती पूरी करें अब हर एक की मनोकामना...

    यह शीश कदमों पर नवा कर, कर रहे हम वन्दना,
    माँ शारदे, कर दो कृपा तुम, ज्ञान की है कामना....

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