आधार छंद-रजनी
मापनी- २१२२ २१२२ २१२२ २
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फूल है अपनी जगह खुशबू रुहानी है |
झूमती गाती हवा लाती रवानी है |१|
मौत के डर से न जीना छोड़ना साथी
प्राण का तन से मिलन जीवन कहानी है|२|
बोलते हैं जब पपीहे प्रीत के सुर में
वह मिलन की रागिनी लगती सुहानी है|३|
जब सुनी धुन बाँसुरी की गोपियाँ दौड़ीं
प्रीत राधा- कृष्ण की सदियों पुरानी है|४|
वेद में ही है छुपी पहचान भारत की
याद रखना श्लोक को इसकी निशानी है|५|
@ऋता शेखर ‘मधु’
मौत के डर से न जीना छोड़ना साथी
जवाब देंहटाएंप्राण का तन से मिलन जीवन कहानी है
वाह ! अद्भुत
आभार आपका !
हटाएंसुन्दर गीतिका।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आभार आपका !
हटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंsundar rachna
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंSundar rachna bahut khub.
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंसत्य वचन
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