गीतिका
आधार छन्द - रजनी (मापनीयुक्त मात्रिक) मापनी - गालगागा गालगागा गालगागा गा
2122 2122 2122 2
समान्त - आर, पदान्त - को देखो
लिख रहे जो गीतिका उस सार को देखो
लेखनी से उठ रहे उद्गार को देखो
हो रहे हैं शब्द हर्षित भाव बहने लगे
हर्ष में छुपते हुए अंगार को देखो
झूमते हैं फूल पत्ते ज्यों पवन झूमी
छंद का सौन्दर्य मात्रा भार को देखो
जब लिखे हों मापनी में गीत के मुखड़े
रागिनी में राग की झंकार को देखो
राम जी की हो कथा या हो महाभारत
सोरठे के वर्ण में संसार को देखो
@ऋता शेख ‘मधु’
शानदार हर कड़ी में जान डाल दी है आपने
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंसार्थक एवं सारगर्भित अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आभार आपका !
हटाएंपर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ।
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंबहुत ख़ूबसूरत गीतिका ... भावप्रधान छंद कमाल के हैं सभी ...
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