क्या तेरा है क्या मेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है
क्या तेरा है क्या मेरा है|
यह घर कुछ दिन का डेरा है|
साथ चलेंगे कर्म हमारे,
यह पाप-पुण्य का फेरा है||
मानवता का साथी बनकर,
मिल जाता नया सवेरा है |
दुनिया तो रैन बसेरा है ||१
दुनिया में हर दीन-दुखी को,
गले लगाकर के चलना है|
बिन आँचल के मासूमों को
दूजे की गोदी पलना है ||
बुरी बला से बचे रहेंगे
आशीषों का जब घेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||२
पूजा में नत होकर देखो |
कर्मों में रत होकर देखो |
दुआ मिलेगी दुखियारों से,
उनके घर छत होकर देखो ||
अपने सारे जाल समेटो
आया संझा का बेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||३
मौलिक, स्वरचित
ऋता शेखर ‘मधु’
क्या तेरा है क्या मेरा है|
यह घर कुछ दिन का डेरा है|
साथ चलेंगे कर्म हमारे,
यह पाप-पुण्य का फेरा है||
मानवता का साथी बनकर,
मिल जाता नया सवेरा है |
दुनिया तो रैन बसेरा है ||१
दुनिया में हर दीन-दुखी को,
गले लगाकर के चलना है|
बिन आँचल के मासूमों को
दूजे की गोदी पलना है ||
बुरी बला से बचे रहेंगे
आशीषों का जब घेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||२
पूजा में नत होकर देखो |
कर्मों में रत होकर देखो |
दुआ मिलेगी दुखियारों से,
उनके घर छत होकर देखो ||
अपने सारे जाल समेटो
आया संझा का बेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा है ||३
मौलिक, स्वरचित
ऋता शेखर ‘मधु’
सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुशील जी|
हटाएंनिर्वेद की सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआभार सर !
हटाएंआभार आदरणीय !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी !
हटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी !
हटाएंबुरी बला से बचे रहेंगे आशीषों का घेरा है ..वाह दो सुन्दर गीत एक साथ पढ़ने मिल गए .
जवाब देंहटाएंआभार गिरिजा जी !
हटाएंवाह। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जेन्नी जी !
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन .
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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