मंगलवार, 16 जून 2020

मन पाखी पिंजर छोड़ चला-गीत

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मन पाखी पिंजर छोड़ चला

मन पाखी पिंजर छोड़ चला।
तन से भी रिश्ता तोड़ चला ।।

जीवन की पटरी टूट गयी ।
माया की गठरी छूट गयी ।
अब रहा न कोई साथी है,
मंजिल पर मटकी फूट गयी।।

निष्ठुरता से मुँह मोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

जीवन घट डूबा उतराया ।
माँझी कोई पार न पाया ।
शक्ति थी पँखों में जबतक,
भर उड़ान सबको भरमाया ।।

ईश्वर से नाता जोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

लक्ष्य सदा ही पाना होगा ।
जाना है तो जाना होगा ।
कितने जन्मों का फेरा है,
पूछ लौटकर आना होगा ।।

दर्पण को दंभी फोड़ चला ।
मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।।

ऋता शेखर 'मधु'

12 टिप्‍पणियां:

  1. ईश्वर से नाता जोड़ चला ।
    मन पाखी पिंजर छोड़ चला ।
    बहुत बढ़िया

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  2. वाह , ऋता .बहुत सामयिक और मार्मिक कविता .

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    उत्तर
    1. धन्यवाद गिरिजा जी, उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभार !

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