बाल कविता-गौरैया
रोज़ सवेरे मेरे आँगन
आती थी इक गौरैया|
कुदक-कुदक कर,
फुदक-फुदक कर,
दाना खाती वह गौरैया|
छोटी सी आवाज़ पर
चौकन्नी होती गौरैया|
चकित नज़र चहुँ ओर डालती
चपल चंचल थी गौरैया|
चिड़ा आए दाना लेने तो
चोंच मारती गौरैया|
नन्हें से बच्चे को लाती
वात्सल्य से भरी गौरैया|
खाना डालती बच्चे के मुख में
ममता की मारी गौरैया|
नहीं मिलते चावल के दाने
चूँ-चूँ कर माँगती गौरैया|
निकट जाने की कोशिश की तो
उड़ जाती थी गौरैया|
चहचहा उठती थी गौरैया|
एक सुबह उलझी झाड़ी में
लंगड़ी हो गई गौरैया|
पंख टूट गए उसके
लाचार हो गई गौरैया|
किसी तरह आँगन में आई
चुपचाप खड़ी थी गौरैया|
दाना डाल दिया फिर भी
उदास पड़ी थी गौरैया|
हाथ बढ़ाया चुपके से
मुट्ठी में आ गई गौरैया|
प्यार से सहलाया उसे
सिमट गई वह गौरैया|
नज़र मिली उसकी नज़रों से
कृतज्ञ थी शायद वह गौरैया|
ऋता शेखर ‘मधु
बाल दिवस पर बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...गौरैया जैसी ही :)
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसोमवारीय चर्चा-मंच पर
charchamanch.blogspot.com
सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंप्यार से सहलाया उसे
जवाब देंहटाएंसिमट गई वह गौरैया|very nice.
बाल दिवस पर बच्चों को इस कविता से अच्छा उपहार भला क्या हो सकता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
वैसे तो अब,प्रदूषण के कारण,पक्षियोम की कई प्रजातियां विलुप्त हो गईं हैं,परंतु आपने सुंदर
जवाब देंहटाएंचिट्रॊं के माध्यम से,अपनी रचना को,जीवंत बना दिया.धन्यवाद.
sundar chiyra,,,sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंएक प्यारी प्रस्तुति...बधाई...। लगभग विलुप्त हो चुकी गौरैया पर यह कविता निश्चय ही काबिले तारीफ़ है...।
जवाब देंहटाएंइतनी प्यारी कवितायें अब पढ़ने को कहाँ मिलती हैं..
जवाब देंहटाएंदेखिये क्या संयोग है...कुछ दिन पहले मैं सुबह युहीं कुछ तस्वीरें ले रहा था अपने छत पर से...तो गौरेया की भी दो तीन तस्वीर लिए लेकिन अच्छे नहीं आये थे तो ब्लॉग पर डाला नहीं..
प्यारी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबाल दिवस पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति.......
जवाब देंहटाएंगैरैया पर बहुत ही खूब्सूरत कविता !
जवाब देंहटाएंगौरैया मेरी बच्ची,ह्रदय स्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंवाह! सुंदर गीत गौरैया का.
जवाब देंहटाएंहमारे दैनिक क्रिया कलापों जितनी ही घुली मिली है गौरैया!
मन के कपाट पर चोंच मारती गौरैया
जवाब देंहटाएंMadhur geet...
जवाब देंहटाएंBahut Sunder
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