आज मैं श्रीरामकथा की तीसरी कविता लेकर प्रस्तुत हूँ|
आपकी छोटी से छोटी प्रतिक्रिया भी मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है|
दशरथनन्दन का नामकरण
पाकर चार पुत्ररत्न अवधराज थे बेहद हर्षित
रूप, शील और गुण से चारों ही थे शोभित|
जिन्हें बुलाया रघुकुलमणि ने, नाम था उनका गुरु वशिष्ठ
हाथ जोड़ किए अभिवादन, आग्रह किए एक अति शिष्ट|
इन शिशुओं में जैसा जिनका है आचरण
कीजिए उनके अनुसार ही उनका नामकरण|
जगद्गुरू ने बहुत सोचा किया हृदय में विचार
वेद प्राण शिव प्राण हैं दशरथ के ये पुत्र चार|
आनन्द के हैं सागर जो, अनुग्रह करना है काम
सुखों के समूह हैं, देते समस्त लोक को विश्राम
नाम उनका विख्यात होगा, कहलाएँगे वे श्रीराम|
भरण-पोषण कार्य है जिनका
नाम भरत ही होगा उनका|
स्मरणमात्र से ही जिनके, होता शत्रु हनन
वेद बताते एसे शिशु का नाम शत्रुघ्न|
सुलक्षणों से शोभित जो, बसे राम के मन
जगत के आधार हैं, नाम होगा लक्ष्मण|
श्रीराम की बालछवि
सर्वव्यापी सुखसागर कृपासिन्धु भगवान
गोद में खेल रहे, है मुख पर मृदु मुस्कान|
निहार के रामलला की छवि अति प्यारी
ममतामयी कौशल्या हो जातीं वारी वारी|
कोटि कामदेव की शोभा से भी भारी
श्रीराम की सुंदरता थी न्यारी मनोहारी|
नीलकमल सा मनभावन नीलमेघ सा वर्ण
श्याम शरीर पर भाए लाल कमल से चरण|
लाल चरण पर नखों की ऐसी थी ज्योति
कमल पँखुड़ी पर बिखरे हो जैसे सफ़ेद मोती|
चरणतल पर शोभायमान वज्र ध्वजा अंकुश की रेखा
नाभि की गहराई वही समझे, जिसने इसे है देखा|
कमर में है करधनी तीन रेखाएँ उभरी हैं उदर पर
मुनियों का मन मोहित है ध्वनि नुपुर की सुनकर|
ग्रीवा चिबुक लगती भली जैसे सुन्दर शंख
शोभा फैल रही ऐसे जैसे कामदेव असंख्य|
होंठ लाल-लाल, मुख से झाँके मोती से दो दंत
नासिका ऊपर तिलक ऐसे सोहे जैसे कोई संत|
कर्ण कपोल अति सुन्दर, नेत्र नील वृहद गोल
वक्र भौं, लटकती अलक, तोतली है बोल|
हुलस-हुलस माता सँवारे काले घुँघराले बाल
पीत वस्त्र में घुटनों पर भागें, भली लगे वह चाल|
रघुनाथ की शोभा मनोहर, रूप है वर्णनातीत
स्वप्न में भी दिख जाए, हो बाल रूप से प्रीत|
ऋता शेखर 'मधु'
आपने दशरथनंदन के नामकरण की
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रोचक प्रस्तुति की है
रचना के माध्यम से,अच्छी पोस्ट
मुझे बहुत पसंद आई ...
मेरे पोस्ट में स्वागत है ...
आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
ऋता शेखर मधु जी बहुत सुन्दर कोमल मूल भाव से ओत प्रोत प्रभु राम की बाल रचना ने मन को छू लिया ..बधाई
जवाब देंहटाएंकरधनी कुछ कर्घनी सी बन गयी है ...
भ्रमर५
भ्रमर का दर्द और दर्पण में आप का स्वागत है हो सके तो अपना सुझाव व् समर्थन भी दें
रघुनाथ की शोभा मनोहर, रूप है वर्णनातीत
जवाब देंहटाएंस्वप्न में भी दिख जाए, हो बाल रूप से प्रीत|
आपकी अनुपम प्रस्तुति पढ़ पढ़ कर राम के बाल
रूप से प्रीत होती जा रही है.आपका प्रयास अनुपम
और वर्णनातीत है.
बहुत बहुत आभार.