रविवार, 6 जनवरी 2019

ऐसा है उपहार कहाँ......

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ऐसा है उपहार कहाँ......

नया वर्ष तम सारे हर ले
ऐसा है उपहार कहाँ
चले संग जो सदा हमारे
वह जीवन का सार कहाँ
धरती की ज्वाला ठंडी हो
नदिया में वह धार कहाँ
बिन डगमग जो पार उतारे
वैसी है पतवार कहाँ
उठे हाथ जो सदा क्षमा को
ऐसे रहे विचार कहाँ
एक बात जो सर्वम्मत हो
वह सबको स्वीकार कहाँ
बिन बोले जो समझे सबकुछ
बहता है वह प्यार कहाँ
कोई न भूखा सो पाए
जग में वह भंडार कहाँ
अहसास हृदय को छू जाए
लेखन में व्यापार कहाँ
सिर्फ प्रीत के शब्द मिलें
होता ऐसा हर बार कहाँ
मन बन जाये रमता जोगी
मनु, सुन्दर संसार यहाँ।
-ऋता शेखर मधु