शनिवार, 23 जुलाई 2016

संवेदना-लघुकथा

संवेदना
किरण और सुमन फेसबुक मित्र थीं| फेसबुक पर पोस्ट की गई किरण की कविताएँ सुमन को बहुत अच्छी लगती थीं | किरण की हर संवेदना पर लाइक की मुहर लगाने वाली वह प्रथम पाठक हुआ करती थी| इधर कई दिनों से किरण की कोई पोस्ट न देखकर सुमन ने इनबॉक्स में पूछा|
“अपने मित्रों की पोस्ट पर सैकड़ों लाइक और कमेंट देखकर मैं हीन भाव से ग्रसित हो जाती हूँ कि मैं वैसा क्यों नहीं लिख पाती’’, किरण ने रोने वाली स्माइली के साथ बताया| सुमन ने समझाने की कोशिश की पर वह समझने को तैयार नहीं थी|
आज एक बेबी शो में रु-ब-रु मिलने का मौका मिला था| गर्मजोशी से एक दूसरे से गले मिलकर दोनों बहुत खुश थीं|’बेबी शो’ की प्रतिस्पर्धा में किरण का आठ महीने का गुलथुल बेटा भी शामिल था| हर तरह के परीक्षणों के बाद परिणाम की बारी थी| जीत वाली लिस्ट में किरण के बेबी का नाम नहीं था मगर इससे बेखबर वह अपने बच्चे को प्यार किए जा रही थी|
‘ तुम्हारा बेटा नहीं जीत सका फिर भी तुम उससे प्यार क्यों किए जा रही हो”, सुमन ने तीखी बात कही|
“जीत से क्या मतलब, यह मेरा बच्चा है तो प्यार क्यों न करूँ,” किरण ने तल्खी से कहा|
“वही तो किरण, तुम्हारी कविताएँ तुम्हारी अपनी संवेदनाएँ हैं| उनसे प्यार करना क्यों छोड़ दिया,” सुमन ने कहा|
किरण के चेहरे की चमक बता रही थी कि हीनता का बदरंग आवरण गिर चुका था|
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
----ऋता शेखर ‘मधु’

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 24 जुलाई 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. शुभ संध्या दीदी
    बच्चा प्रसवित है
    प्यार स्वाभाविक है
    कविता भी जनित है
    वह प्रेरणा पाकर उपजती है
    सादर

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-07-2016) को "सावन आया झूमता ठंडी पड़े फुहार" (चर्चा अंक-2414) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!

    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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