गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

स्त्रियों का पुराण


स्त्रियों का पुराण

नारी सौभाग्यशालिनी है
क्योंकि
वह दुर्गा है
वह लक्ष्मी है
वह सरस्वती है
वह सीता है
वह ममता है
वह त्याग की देवी है
वह सहगामिनी है
वह पार्वती है
वह राधा है
वह मीरा है
वह चरणदासी है

इतने सारे रूप हैं
सिर्फ़ नारियों के लिए
किन्तु ये सारे रूप
कहाँ तय किए गए
वेद-पुराण और ग्रंथों में !!
किसके द्वारा तय किए गए
पुरुषों के द्वारा न !!

इतना सारा सम्मान
नारियों को
इतराने के लिए काफी हैं
खुद को
देवी साबित करने के लिए
सारी उम्र
बिता देना काफी है...है न !!

अब हम नारियाँ भी
नए पुराण लिखना चाहती हैं
हे पुरुषों,
तुम ब्रह्मा हो
तुम विष्णु हो
तुम महेश हो
तुम राम हो
तुम त्याग के देवता हो
तुम ममता की मूरत हो
तुम सहगामी हो
तुम चरणदाााा...नहीं नहीं
स्त्रियाँ निर्दयी नहीं हो सकतीं
कोई दास या दासी नहीं होता
स्त्री हो या पुरुष
सभी इंसान ही होते हैं
सबकी मर्यादा होती है

बस गुजारिश है
अब तुम भी
खुद को
देवता साबित करने में
लगे रहो...लगे रहो...उम्र भर !!

ऋता शेखर मधु

23 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद उम्दा गहन अभिव्यक्ति
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

    जवाब देंहटाएं
  2. पुरुष यह साबित क्यों करे कि वो देवता है .... वह खुद को देवता समझता है ...

    बहुत अच्छी रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सच कहा संगीता दी ने....पुरुष तो साबित करने की जेहमत भी नहीं उठाता....

    बहुत बढ़िया कविता ऋता जी...
    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  5. Devatv ling ka mohtaj nahi hota,ha purush aur stri ke vibhajn ka ankganit behad khatarnak hai,ese samatw ki dristi sedekhne hi kalyan hai

    जवाब देंहटाएं
  6. सटीक व्यंग है ... पुरुष को साबित करने की चुनौती देता ...

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी रचना, नए ज़माने की नई सोच को प्रतिबिंबित करती हुई । स्वागतेय ।

    जवाब देंहटाएं
  8. असंतुष्ट है स्त्री
    प्रशंसा मे
    दमन मे
    नहीं पता पर
    चाहिए क्या
    व्यक्त करे जो
    संपूर्णता में

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया...!! शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  10. देवता साबित करें -क्यों?
    हम तो ऐसे ही रहेंगे !

    जवाब देंहटाएं
  11. बस गुजारिश है
    अब तुम भी
    खुद को
    देवता साबित करने में
    लगे रहो...लगे रहो...उम्र भर !!
    वाह ... बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  12. हा हा हा
    काफी अच्छी रचना... बहुत अच्छा लगा पढ़ कर
    खास तौर पर

    "अब हम नारियाँ भी
    नए पुराण लिखना चाहती हैं
    हे पुरुषों,
    तुम ब्रह्मा हो....."

    आभार|

    जवाब देंहटाएं
  13. आपकी लिखी रचना 30 मई 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर !
    काश वह दिन भी आए जब कोई सत्यवान यमराज से लड़ कर अपनी सावित्री को पुनर्जीवित करा लाए !

    जवाब देंहटाएं
  15. काश पुरुष भी साबित करें देवता होना...
    बहुत ही सुन्दर, लाजवाब सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  16. कोई खुद को देवी-देवता समझना छोड़ इन्सान समझे वही काफी है।चिंतनपरक रचना मधु जी।अच्छा लगा आपके ब्लॉग से जुड़कर 🙏🌹🌹🌺🌺

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!