नींद में ही
इक आवाज सुनी
‘वह
चली गई’
मन स्तब्ध
आँखें नम
हृदय की धड़कन
रुकी-रुकी सी
मन की शक्ति
चुकी-चुकी सी
कलम उठाया
कि लिख दूँ
उसकी आत्मा की शांति के लिए
दो शब्द
पर यह क्या?
कलम ने
चलने से इंकार किया
क्यूँ.....?
कलम ने कहा-
नहीं लिख सकोगी
मेरी भी जिद थी-
लिख लूँगी
-तो फिर लिखो
मैंने उढ़ेल दी
सारी संवेदनाएँ
पर उभरा
एक ही निशान
प्रश्नचिन्ह का
?????
?????
मैं अवाक्
कलम ने कहा-
पहले आँख मूँदो
महसूस करो उसे
उसके घरवालों को
दो मिनट का मौन रखो
फिर लिखना...
कलम का प्रोटेस्ट
सर झुकाकर
मान लिया मैंने|
ऋता शेखर ‘मधु’
दामिनी को श्रद्धा सुमन नमन आपकी भावनाओं को मेरा नतमस्तक प्रणाम, यह जो कुछ भी हुआ कतई नहीं होना चाहिए था. कुछ और कहा नहीं जाएगा सादर
जवाब देंहटाएंदो मिनट का मौन रखो
जवाब देंहटाएंफिर लिखना...
कलम का प्रोटेस्ट
सर झुकाकर
मान लिया मैंने|
अश्रु पूरित श्रद्धांजली
तेरी बेबसी का, दिल को मलाल बहुत है दामिनी
जवाब देंहटाएंशर्म आती है अब तो, खुद को इंसान कहने पर।
तेरी बेबसी का, दिल को मलाल बहुत है दामिनी
जवाब देंहटाएंशर्म आती है अब तो, खुद को इंसान कहने पर।
बेटी दामिनी
जवाब देंहटाएंहम तुम्हें मरने ना देंगे
जब तलक जिंदा कलम है..
दामिनी को अश्रु पूरित श्रद्धांजली....भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंएक ही निशान
जवाब देंहटाएंप्रश्नचिन्ह का
?????
?????
मैं अवाक्सर झुकाकर
मान लिया मैंने|
अश्रु पूरित श्रद्धांजली
जायज़ है पूरी तरह ये प्रोटेस्ट।
जवाब देंहटाएंसादर श्रद्धांजलि बहन को।
सारे देश के लिए ये एक बेहद दुखद दिन था...
जवाब देंहटाएंदामिनी को श्रद्धांजलि।।।
नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।
दुःख की इस घडी में हर कोई प्रश्न ले के खड़ा है ...
जवाब देंहटाएंदामिनी को नम ह्रदय से विदाई ...
मौन नहीं
जवाब देंहटाएंअब प्रतिकार होगा
न्याय का अब
सबको अधिकार होगा ।
सुंदर प्रस्तुति