शनिवार, 29 दिसंबर 2012

कलम का प्रोटेस्ट




नींद में ही
इक आवाज सुनी
वह चली गई
मन स्तब्ध
आँखें नम
हृदय की धड़कन
रुकी-रुकी सी
मन की शक्ति
चुकी-चुकी सी
कलम उठाया
कि लिख दूँ
उसकी आत्मा की शांति के लिए
दो शब्द
पर यह क्या?
कलम ने
चलने से इंकार किया
क्यूँ.....?
कलम ने कहा-
नहीं लिख सकोगी
मेरी भी जिद थी-
लिख लूँगी
-तो फिर लिखो
मैंने उढ़ेल दी
सारी संवेदनाएँ
पर उभरा
एक ही निशान
प्रश्नचिन्ह का
?????
?????
मैं अवाक्
कलम ने कहा-
पहले आँख मूँदो
महसूस करो उसे
उसके घरवालों को
दो मिनट का मौन रखो
फिर लिखना...
कलम का प्रोटेस्ट
सर झुकाकर
मान लिया मैंने|

ऋता शेखर मधु

12 टिप्‍पणियां:

  1. दामिनी को श्रद्धा सुमन नमन आपकी भावनाओं को मेरा नतमस्तक प्रणाम, यह जो कुछ भी हुआ कतई नहीं होना चाहिए था. कुछ और कहा नहीं जाएगा सादर

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  2. दो मिनट का मौन रखो
    फिर लिखना...
    कलम का प्रोटेस्ट
    सर झुकाकर
    मान लिया मैंने|
    अश्रु पूरित श्रद्धांजली

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  3. तेरी बेबसी का, दिल को मलाल बहुत है दामिनी
    शर्म आती है अब तो, खुद को इंसान कहने पर।

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  4. तेरी बेबसी का, दिल को मलाल बहुत है दामिनी
    शर्म आती है अब तो, खुद को इंसान कहने पर।

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  5. बेटी दामिनी

    हम तुम्हें मरने ना देंगे
    जब तलक जिंदा कलम है..

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  6. दामिनी को अश्रु पूरित श्रद्धांजली....भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  7. एक ही निशान
    प्रश्नचिन्ह का
    ?????
    ?????
    मैं अवाक्सर झुकाकर
    मान लिया मैंने|
    अश्रु पूरित श्रद्धांजली

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  8. जायज़ है पूरी तरह ये प्रोटेस्ट।
    सादर श्रद्धांजलि बहन को।

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  9. सारे देश के लिए ये एक बेहद दुखद दिन था...
    दामिनी को श्रद्धांजलि।।।
    नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं।।।

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  10. दुःख की इस घडी में हर कोई प्रश्न ले के खड़ा है ...
    दामिनी को नम ह्रदय से विदाई ...

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  11. मौन नहीं
    अब प्रतिकार होगा
    न्याय का अब
    सबको अधिकार होगा ।

    सुंदर प्रस्तुति

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