कैथी लिपि- ऋता शेखर ‘मधु’
कैथी या "Kayasthi" लिपि का जनक ,भारत के एक सामाजिक समूह कायस्थों को माना जाता है| कहा जाता है कि ऐतिहासिक
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में से पूर्व उत्तर - पश्चिमी प्रांत, अवध और बिहार में इस लिपि का प्रयोग
व्यापक एवं मुख्य रूप से किया जाता था| इस स्क्रिप्ट का इस्तेमाल
सामान्य पत्राचार, शाही अदालतों और संबंधित निकायों की कार्यवाही , राजस्व लेनदेन, कानूनी, प्रशासनिक और निजी
दस्तावेजों के रिकॉर्ड को लिखने एवं उसे बनाए रखने के लिए किया गया था.
सोलहवीं शतावदी के
दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि मुगल काल के दौरान इस लिपि का व्यापक इस्तेमाल
किया गया था|
1880 के दशक में, ब्रिटिश राज के दौरान, बिहार के कानूनी अदालतों में कैथी
स्क्रिप्ट को आधिकारिक तौर पर सरकारी मान्यता दी गई थी| आगे चल कर देव-नागरी लिपि का व्यापक इस्तेमाल होने के कारण यह
धीरे-धीरे विलुप्त हो गया|
विकिपीडिया से साभार |
यह लिपि लिखना मैं जानती हूँ...बचपन में अपनी नानी और दादी को लिखते देखती थी तो सीख लिया था|
ऋता शेखर 'मधु'
नयी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंनई जानकारी बताने के लिए ,,,शुक्रिया,,,
जवाब देंहटाएंrecent post हमको रखवालो ने लूटा
बहुत अच्छी जानकारी ...
जवाब देंहटाएंआभार।
gyan vardhak sundar prastuti
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी,
जवाब देंहटाएंमेरे लिए तो नई जानकारी है
मेरे नानाजी कैथी लिपि लिखना और पढ़ना जानते थे, ऐसा मेरी माँ और मौसी कहती है. लेकिन उनको गुजरे हुए आज 20 साल से ज्यादा हो गये है, और किसी ने इस लिपि को नहीं सिखा, बहुत बुरा हुआ, उस समय मैं बहुत छोटा था, 6-7 साल का मैं हूँगा, काश यह लिपि मेरे घर में किसी ने इस लिपि को नाना जी से सिख लिया होता तो यह लिपि मुझे भी लिखनी और पढ़ना आ जाता.
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