मंगलवार, 21 अगस्त 2012

छलिया चितचोर साँवला सलोना नंद का छोरा



प्रेम का हर सार छुपा है राधा-कान्हा की भक्ति में
परम आनंद प्रकट होता मीरा की अनुरक्ति में

छलिया चितचोर साँवला सलोना नंद का छोरा
मनमोहना था, डूबी गोपियाँ प्रेम-आसक्ति में

मोहन एक गोपियाँ अनेक रास रचाए मधुवन
अधर से मुरली यूँ जुड़े ज्यूँ समास जुड़ें विभक्ति में

निष्ठुर बना वह नंदलाला छोड़ गया वृंदावन
गऊ गाछ गोपियाँ गलियाँ गुमसुम हुए विरक्ति में

कालिया जयद्रथ शिशुपाल कंस कृष्ण को ना भाते
धैर्य से हम रखें यकीन नारायण की शक्ति में

ऋता शेखर 'मधु'

इस ग़ज़ल को जन्माष्टमी के लिए तैयार किया था किन्तु ऐन मौके पर एक सप्ताह के लिए नेट महाराज धोखा दे गए...
अपनी रचना तो नहीं ही डाल पाई , सबके ब्लॉग की रचनाएँ भी मिस कियाः(

14 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम का हर सार छुपा है राधा-कान्हा की भक्ति में
    परम आनंद प्रकट होता मीरा की अनुरक्ति में... बहुत सुन्दर भाव ..देर ही सही पर पढ़ने को तो मिला...ऋता...शुभकामनाएं

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  2. रास यानि प्रेम ... प्रेम शरीर का बोधक नहीं है . कृष्ण ने जो रास रचाया , उसमें अदभुत शक्तिशाली खुशियाँ थी, एक सक्षम पुरुष की निगरानी थी .... पर जाकी रही जैसी भावना ....


    प्रेम का हर सार छुपा है राधा-कान्हा की भक्ति में
    परम आनंद प्रकट होता मीरा की अनुरक्ति में

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  3. बहुत सुन्दर...मनभावन रचना....
    कृष्ण तो सदाबहार हैं......
    सस्नेह
    अनु

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  4. बहुत खूबसूरत रचना ... कृष्ण की कितनी ही छवि समेट ली हैं ।

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  5. प्रेम का हर सार छुपा है राधा-कान्हा की भक्ति में
    परम आनंद प्रकट होता मीरा की अनुरक्ति में
    भावमय करते शब्‍दों का संगम ... उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

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  6. छलिया चितचोर साँवला सलोना नंद का छोरा
    मनमोहना था, डूबी गोपियाँ प्रेम-आसक्ति में

    मधुर भाव की अनुपम अभिव्यक्ति.
    आपकी हर प्रस्तुति मधुर गुंजन करती सी लगती है

    आभार,ऋता जी.

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  7. ऋता जी, बहुत सुंदर शब्‍द चित्र खींचे हैं। हार्दिक शुभकामनाएं।

    ............
    डायन का तिलिस्‍म!
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

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  8. मोहन एक गोपियाँ अनेक रास रचाए मधुवन
    अधर से मुरली यूँ जुड़े ज्यूँ समास जुड़ें विभक्ति में ...
    करिश का रूप और उनका हर प्रसंग ओने आप में महा काव्य है ... उसे गज़ल, कविता में अनेकों रूप में बांधा है कवियों ने ... बहुत ही लाजवाब शेर कहे हैं आपने भी ...

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  9. वाह ...कृष्ण मई बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें...!!

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