शादियों के मौसम के लिए...
गोरी सजी दुल्हन बनी है, नैन शर्मीले बने|
लाली हया की छा रही है, हाथ बर्फीले बने||
जाना सजन के संग में है, यह विदा की रात है|
इन थरथराते से लबों पर, अनकही इक बात है|१|
बाबुल नजर के सामने हैं, नत नयन से वह खड़ी|
जाना जरूरी क्यों बताओ, कौन सी आई घड़ी||
लाडो नियम संसार का यह, अब वही तेरा जहाँ|
माता-पिता की लाज रखना, खुश सदा रहना वहाँ|२|
भाई हृदय की ही परत पर, नेह-पाती लिख रहा|
आँखें उदासी से भरी हैं, खुश मगर वह दिख रहा||
जब खिलेगा चाँद सावन, दूज का ही मास होगा|
बहना पिरोना स्नेह-मोती, वह महीना खास होगा|३|
सुनसान आँगन कर चली है, लाडली नाजों पली|
कैसे रहेगी दूर माँ से, बोल ऐ नाजुक कली||
इन मौन आँखों में नमी है, दिल हुलस कर कह रहा|
आबाद हो संसार तेरा, नीर खुशी के बह रहा|४|
देता दिलासा ‘वह’ सभी को, मीत को लेकर चला|
शोभा बनेगी यह हमारी, आस भी देकर चला||
हौले दबाया हाथ ‘उसका’, लाज से पानी हुई|
ले प्यार सबका वह चली है, प्रीत दीवानी हुई|५|
ऋता शेखर ‘मधु’
लाडो नियम संसार का यह, अब वही तेरा जहाँ|
जवाब देंहटाएंमाता-पिता की लाज रखना, खुश सदा रहना वहाँ|२|
बहुत बढ़िया बेटी को सीख देती सुंदर रचना,,,,,
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इन थरथराते से लबों पर, अनकही इक बात है|१| ..... बहुत खुबसूरत प्रस्तुति,,ऋता
जवाब देंहटाएंरुनझुन से खिले खिले भाव
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ऋता जी.....
जवाब देंहटाएंमन भावुक सा हो गया......
सस्नेह
बहुत सुन्दर ..... बेटी की विदाई याद आ गयी ,,,
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
आपने तो भावुक कर दिया ………आँख भर आयी
जवाब देंहटाएंkomal bhavo se likhi bahut hi sundar pyari si rachana..
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंभावमयी प्रस्तुति!
सुंदर सजे हैं भाव कोमल, छंद मधुरम बन पड़े।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर हरिगीतिका छंद... वाह!
सादर बधाई।
bahut badhiya....shubhakamnaye
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावयुक्त जबरदस्त प्रस्तुति
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