राम सिया अरु लखन पधारे
जलता दीपक द्वारे द्वारे
अवधपुरी में मनी दिवाली
उजली हुई जो निशा थी काली
रघुवर जी को राह दिखाने
झूम रही थी लौ मतवाली
बने घरौंदे प्यारे प्यारे
सजे खिलौने न्यारे न्यारे
जलता दीपक द्वारे द्वारे
नीली हरी लाल रंगोली
घर की चौखट भी खुश हो ली
कुलिया चुकिया लावा फरही
ले हाथौं में मुनिया डोली
अम्बर जैसे चाँद सितारे
आज धरा पर निखरे सारे
जलता दीपक द्वारे द्वारे
दीपों की पाँतें झूम रहीं
अँगना में चकरी घूम रहीं
जगमग जगमग कंदीलों पर
कीटें भी लौ को चूम रहीं
पावन निर्मल पर्व हमारे
ध्रुवतारा भी हमें निहारे
जलता दीपक द्वारे द्वारे
मन के भीतर हो उजियारा
जीवन पथ पर तम भी हारा
ज्ञान ध्यान की लगन लगी है
कहाँ टिकेगा फिर अँधियारा
लछमी पूजन साँझ सकारे
संध्या दीपक सुबह सँवारे
जलता दीपक द्वारे द्वारे
*ऋता शेखर 'मधु'*
अनुभूति पर दीपावली विशेषांक में यह गीत प्रकाशित है........लिंक नीचे है.....
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर दीपावली गीत इस मौसम मे कुछ गरमाहट दे गया।
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