सोमवार, 19 जनवरी 2015

पल का पंछी


पल का पंछी
-------------------
याद रखना नौनिहालों
बीता समय आता नहीं

पल का पंछी
भाग रहा है
सजग हमेशा
जाग रहा है

बिना परिश्रम कोई भी
सेव मीठे खाता नहीं

घडी के काँटे
डोल रहे हैं
कर लो उपयोग
बोल रहे हैं

धरा को तप्त हुए बिना
मेघ नभ में छाता नहीं

तन में ऊर्जा
भरी पड़ी है
विजयमाल ले
राह खड़ी है

ढीले तारों से कभी भी
संतूर राग गाता नहीं

याद रखना नौनिहालों
बीता समय आता नहीं
*ऋता शेखर मधु*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!