कविताओं में "तुम " शब्द का प्रयोग कविता को व्यापक विस्तार देता है...उसी विषय पर आधारित रचना...
सुनो पथिक अनजाने तुम
लगते बड़े सुहाने तुम
कविताओं में आते हो
अपनी बात सुनाने तुम
जब भी आँखें नम होतीं
आ जाते थपकाने तुम
कभी ममता या ईश हो
दुआओं के बहाने तुम
शामिल होते मेघों में
शीतलता बरसाने तुम
आते हो मुसकाने तुम
तुम ही तो सबल स्वप्न हो
होते नहीं पुराने तुम
होते नहीं पुराने तुम
*ऋता शेखर 'मधु'*
बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंati uttam.....sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (28-10-2014) को "माँ का आँचल प्यार भरा" (चर्चा मंच-1780) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
छठ पूजा की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया ।
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