दो पहलू हर बात के, सहमति और विरोध
कह दो मन के भाव को,नहीं कहीं अवरोध
मूक बनोगे आज जब, हो जाएगी चूक
होंगे कल के बोल तब, वीराने की कूक
चुप रहने से जिंदगी, बदले अपनी चाल
क्यों पूछे उस वक्त में, कोई तुम्हारा हाल
नित नित लिखते मित्र जो, बनते थे चर्वाक
चुप रहकर के वो बने, बड़े चतुर चालाक
रुक जाए जो लेखनी, कौन बने आवाज
खंगालो इतिहास को, कवि बदलो अंदाज
--ऋता शेखर 'मधु'
कह दो मन के भाव को,नहीं कहीं अवरोध
मूक बनोगे आज जब, हो जाएगी चूक
होंगे कल के बोल तब, वीराने की कूक
चुप रहने से जिंदगी, बदले अपनी चाल
क्यों पूछे उस वक्त में, कोई तुम्हारा हाल
नित नित लिखते मित्र जो, बनते थे चर्वाक
चुप रहकर के वो बने, बड़े चतुर चालाक
रुक जाए जो लेखनी, कौन बने आवाज
खंगालो इतिहास को, कवि बदलो अंदाज
--ऋता शेखर 'मधु'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!