चाँद- चाँदनी...
चंदा की तुम चाँदनी, झरती सारी रात।
गगन अनोखा दे रहा, धरती को सौगात।।1
देख अमा की रात को, नहीं मनाना शोक।
घट-बढ़ ही है जिन्दगी, सीखे तुमसे लोक।।2
रूप रुपहला है मिला, लगते वृत्ताकार।
सूरज से रौशन रहे, लेकर किरण उधार।।3
तुमसे मनता चौथ है, तुम करवा त्योहार।
जग को तुम आशीष दो, मिले सभी को प्यार।।4
व्यथित हुई है चाँदनी, जाओ उसके पास।
क्यों छुपे अमा की रात में, क्यों करते परिहास।।5
जिस सूरज की रश्मियाँ, रखते अपने पास।
ग्रहण बने कृतघ्न तुम , देते हो संत्रास।।6
चन्द्र सलोने कृष्ण के, शायर के महबूब।
माँ की लोरी तुम बने, भाते सबको खूब।।7
बुढ़िया काते सूत जब, कट जाती है रात।
तन्हाई को बाँटकर, करते हो तुम बात।8
कहीं स्वप्न के पृष्ठ हो, कहीं किसी के राज।
गुड़िया के मामा बने, प्यारा हर अंदाज।।9
....ऋता शेखर
स्वप्न
तुम जब तक दूर हो
आँखों का नूर हो
तुम्हारे पूरा होते ही
तुम हकीकत हो जाओगे
तब फिर से उगेगा एक स्वप्न
फिर से परियों को पँख मिलेंगे
फिर से एक सफर का आगाज होगा
तब हकीकत बन गए स्वप्न तुम
सम्भाल लेना वह कहानी
जिसमें बिता दी हमने ज़िन्दगानी।
कल्पना का घोड़ा
सपनों के तांगे में बैठ
गया है चाँद के पास
नटखट चाँदनी
झूला झुलाती हुई
उसे बहला रही ।
तारे भी आ गए
सब हो गए हैं मगन
स्वप्नों के आसपास
सब के नए स्वप्न हैं
सबका है नया आकाश।
*****
चाँद रोता है
धरती भी भीगती है
कभी भोर होते ही
हरे घास की कालीन पर
चलकर तो देखना
कभी
हरसिंगार की पंखुड़ियों को
सहलाकर देखना
@ ऋता शेखर मधु
वाह सुन्दर।
जवाब देंहटाएंलाजवाब, बहुत ही सुंदर रचना, सादर नमन
जवाब देंहटाएंचाँद के हर कलाप पर जनमानस में पनपती धारणाओं पर सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंसाथ दोनों रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
अभिनव सृजन।
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंगहरा सृजन...बहुत अच्छी रचना है...। बधाई आपको।
जवाब देंहटाएंसभी दोहे चाँद से अपनी शीतल रोशनी बिखेरते हुए । अन्य रचनाएँ भी मनोहारी । खूबसूरत सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया दोहे और रचना भी।
जवाब देंहटाएंदेख अमा की रात को, नहीं मनाना शोक।
जवाब देंहटाएंघट-बढ़ ही है जिन्दगी, सीखे तुमसे लोक।।2
चाँद के माध्यम से जीवन दर्शन समझाता बहुत ही सुंदर सृजन,सादर नमन
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों का हृदय से आभार !!
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