'वाह ममा, आज तो आपने कमाल की पेंटिंग बनाई है,' अपनी चित्रकार माँ की प्रशंसा करते हुए तुलिका बोल पड़ी|
'अच्छा बेटा, इसमे कमाल की बात क्या लगी तुम्हें यह भी तो बताओ,'
'अच्छा बेटा, इसमे कमाल की बात क्या लगी तुम्हें यह भी तो बताओ,'
ममा ने बिटिया की आँखों में देखते हुए पूछा|
'देखिए ममा, ये जो प्यारी सी लड़की बनाई है न आपने, वह तो मैं ही हूँ| उसके सामने इतनी सारी सीढ़ियाँ जो हैं वे हमारे सपने हैं जो हम दोनों को मिलकर तय करने हैं, ठीक कहा न ममा' तुलिका ने मुस्कुराते हुए कहा|
'बिल्कुल ठीक कहा बेटे, अब इन सीढ़ियों की अंतिम पायदान को देख पा रही हो क्या'ममा ने पूछा|
'नहीं ममा, क्या है वहाँ?'
'वहाँ पर तुम्हारे सपनों का राजकुमार है जो तभी नजर आएगा जब तुम पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाओगी' ममा ने हल्के अ़दाज़ में कह दिया|
' ममा, जब मैं घोड़े पर चली जाऊँगी तब भी तुम ये सीढ़ियाँ मत हटाना,' एकाएक थोड़े उदास स्वर में तुलिका कह उठी|
'ऐसा क्यों कह रही बेटा,' ममा भी थोड़ी मायूस हो गई|
' यदि मैं खुद गिर गई, या उस राजकुमार ने धक्का देकर गिरा दिया तो मैं इन्हीं सीढ़ियों से वापस लौट सकूँगी, इन्हें हटाओगी तो नहीं न ममा', तुलिका सुबक उठी|
'नहीं बेटा, नहीं हटाऊँगी,' ममा ने तुलिका को गले लगाते हुए कहा|
ऋता शेखर 'मधु'
वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय !!
हटाएंशुक्रिया यशोदा जी !!
जवाब देंहटाएंगहन सोच के साथ सृजित सुन्दर लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंयदि मैं खुद गिर गई, या उस राजकुमार ने धक्का देकर गिरा दिया तो मैं इन्हीं सीढ़ियों से वापस लौट सकूँगी, इन्हें हटाओगी तो नहीं न ममा',
जवाब देंहटाएंबेटियों के लिए हमेशा मन के साथ घर के द्वार खुल रहने चाहिए ।
सार्थक लघु कथा ।
भाव - विभोर करती रचना ... झ
जवाब देंहटाएंभाव विभोर करती रचना .. और यह कहने पर मजबूर करती बेटा स्वाबलंबी और आत्मनिर्भरता बनों यह तुम्हारा है तुम यहां कभी भी आ... सकती हो ...
जवाब देंहटाएंयानी छोटी बच्ची के मन में भी आशंका भर गयी है ऐसा कुछ आज भी समाज में हो रहा है . मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज की विभीषिका को रेखांकित करती सुंदर लघुकथा।
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