शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

माँ बागेश्वरी


माँ बागेश्वरी को समर्पित गीत...

कुसुमाकर आकर मुस्काये
वीणावादिनी आईं

नवल राग की मधुर रागिनी
झंकृत करते मन के तार
नम्र बनाएँ मधुर भाषिणी
विद्या से भर दें संसार

नई स्लेट पर "ॐ" की भाषा
पुस्तकधारिणी लाईं

श्वेत हंस की पावनता है
पीत पुष्प की माला
सरल  हास्य  मुखमंडल सोहे
कर में साज निराला

एक सूत्र में हमें पिरोने
शुभ वरदायिनी गाईं

मेरे भारत को तुम देवी
निर्मलता सिखलाना
रहें सभी बन भाई भाई
ऐसी राह दिखाना

वेदों को फिर से समझाने
विद्यादायिनी आईं
*ऋता शेखर मधु*

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  2. क्या ये रचना मै अपनी बागेश्वरी पत्रिका में ले सकता हूँ यदि हाँ तो मेल करे -
    amana.yogesh@gmail.com

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