मतला--
दो दिनों की जिंदगी है आदमी के सामने
जान है क्या चीज बोलो दोस्ती के सामने
हुस्ने मतला--
आँधियाँ भी जा रुकी हैं हिमगिरी के सामने
चाल भी बेजार बनती सादगी के सामने
अशआर--
बेटियाँ हों ना अगर तो बहु मिलेगी फिर कहाँ
कौन सी दौलत बड़ी है इस परी के सामने
बंदगी जब की खुदा की हौसले मिलते गए
झुक न पाया सिर मिरा फिर तो किसी के सामने
नारियाँ सहमी दबी सी ठोकरों में जी रहीं
हर खुशी बेकार है उनकी नमी के सामने
हो अमीरी या गरीबी रख रही इक सी नजर
रौशनी की बात क्या है कौमुदी के सामने
फूल भी खिलते रहे हैं कंटकों के बीच में
खुश्बुएँ बिखरी रही हैं हर किसी के सामने
*ऋता शेखर 'मधु'*
दो दिनों की जिंदगी है आदमी के सामने
जान है क्या चीज बोलो दोस्ती के सामने
हुस्ने मतला--
आँधियाँ भी जा रुकी हैं हिमगिरी के सामने
चाल भी बेजार बनती सादगी के सामने
अशआर--
बेटियाँ हों ना अगर तो बहु मिलेगी फिर कहाँ
कौन सी दौलत बड़ी है इस परी के सामने
बंदगी जब की खुदा की हौसले मिलते गए
झुक न पाया सिर मिरा फिर तो किसी के सामने
नारियाँ सहमी दबी सी ठोकरों में जी रहीं
हर खुशी बेकार है उनकी नमी के सामने
हो अमीरी या गरीबी रख रही इक सी नजर
रौशनी की बात क्या है कौमुदी के सामने
फूल भी खिलते रहे हैं कंटकों के बीच में
खुश्बुएँ बिखरी रही हैं हर किसी के सामने
*ऋता शेखर 'मधु'*
बह्र -- 2122 2122 2122 212
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
काफिया -- ई (स्वर)
रदीफ़ -- के सामने
रदीफ़ -- के सामने
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 09 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंbehad sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह
सादर
दो दिनों की जिंदगी है आदमी के सामने
जवाब देंहटाएंजान है क्या चीज बोलो दोस्ती के सामने.
बहुत सुंदर.