“रोहित! इधर आओ, ये देखो, आसमान में अचानक इतने सारे पक्षी उड़ने लगे| सब कितने परेशान दिख रहे न| लगता है किसी ने इनका ठिकाना ही उजाड़ दिया हो| और ये आवाज कैसी आ रही, सुनो तो,” पत्नी प्रिया ने रोहित को बालकनी में बुलाकर कहा|
“अरे , ये तो पेड़ पर पेड़ काटते जा रहे| वो देखो, सामने उस जंगल के बहुत सारे पेड़ काट दिये| बिजली से चलने वाली कुल्हाड़ी की आवाजं है यह”, चौदहवें तल्ले से ध्यान से जंगल को देखते और आवाजों को सुनते हुए रोहित ने कहा|
“ओह! अब ये कहाँ जाएँगे बेचारे| इतने पंछियों को बेघर करने का श्राप लगेगा उन्हें| रोहित कुछ करो न! किसी को तो फोन करो जो आकर रोके उन्हें,” बेचैन सी प्रिया इधर- उधर टहलने लगी|
“हाँ, अभी फोन करता हूँ,” कहकर रोहित कमरे में चला गया|
तभी कूकर ने सीटी मारी और प्रिया किचेन में गैस बन्द करने जा रही थी कि कमरे से आती रोहित की आवाज सुनकर रुक गई और सुनने लगी|
“रघुवीर, उस लिस्ट को रद्द कर दो जिसमें मिल के पाँच सौ मजदूरों को नौकरी से हटाने की बात कही गई है| ये लौकडाउन कभी न कभी तो खत्म होगा ही, हम उन्हें बिना काम के भी तनख्वाह देते रहेंगे |’
प्रिया गहरी साँस लेती किचेन की ओर चल दी| उसकी बेचैनी थम चुकी थी|
@ऋता शेखर ‘मधु’
२५/०५/२०२०
सुन्दर आभास ही काफी हैं। बढ़िया।
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 26 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार रविन्द्र जी !
हटाएंव्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया यशोदा जी !
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-05-2020) को "कोरोना तो सिर्फ एक झाँकी है" (चर्चा अंक-3714) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय !
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हटाएंबहुत सार्थक कथा!
जवाब देंहटाएंवाह 💐
जवाब देंहटाएंसार्थक लघुकथा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ----
जवाब देंहटाएंगहरा चिंतन और समाधान लिए लघु कथा ...
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी ...
दर्द का एहसास.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर
कितनी सुंदर बात का सिरा आपने कहाँ से कहाँ जोड़ा है! बहुत अच्छा लगा पढ़ कर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लघुकथा.
जवाब देंहटाएंसादर