कार्तिक महीना
त्योहारों का महीना हे| करवा चौथ तथा पंचदिवसीय त्योहार दीपावली मनाने के बाद अब आ
रहा हे आस्था का चारदिवसीय महापर्व- छठ पर्व| दीपावली के चौथे दिन से इस पर्व की
शुरुआत हो जाती है|
भारत के बिहार
प्रदेश का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है—सूर्यषष्ठी। यह पर्व मुख्यतः भगवान सूर्य का व्रत है। इस व्रत में सर्वतोभावेन सूर्य की पूजा
की जाती है। वैसे तो सूर्य के साथ सप्तमी तिथि की संगति है, किन्तु बिहार के इस व्रत में सूर्य के साथ 'षष्ठी' तिथि का समन्वय विशेष महत्व का है। इस तिथि को सूर्य के साथ ही षष्ठी देवी
की भी पूजा होती है। पुराणों के अनुसार प्रकृति देवी के एक प्रधान अंश को 'देवसेना' कहते हैं; जो कि सबसे
श्रेष्ठ मातृका मानी गई है। ये लोक के समस्त बालकों की रक्षिका देवी है। प्रकृति
का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम "षष्ठी" भी है। षष्ठी देवी का पूजन–प्रसार ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राजा
प्रियव्रत के काल से आरम्भ हुआ। जब षष्ठी देवी की पूजा 'छठ मइया' के रूप में प्रचलित हुई। वास्तव में सूर्य को अर्ध्य तथा षष्ठी
देवी का पूजन एक ही तिथि को पड़ने के कारण दोनों का समन्वय इस प्रकार हो गया कि
सूर्य पूजा और छठ पूजा में भेद करना मुश्किल है। वास्तव में ये दो अलग–अलग त्यौहार हैं। सूर्य की षष्ठी को दोनों की
ही पूजा होती है।
छठ बिहार का
प्रमुख त्यौहार है। छठ का त्यौहार भगवान सूर्य को धरती पर धन–धान्य की प्रचूरता
के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। लोग अपनी विशेष इच्छाओं की पूर्ति के
लिए भी इस पर्व को मनाते हैं। पर्व का आयोजन मुख्यतः गंगा के तट पर होता है और कुछ
गाँवों में जहाँ पर गंगा नहीं पहुँच पाती है, वहाँ पर महिलाएँ छोटे तालाबों अथवा पोखरों के किनारे ही धूम–धाम से इस पर्व को मनाती हैं। यह पर्व
वर्षमें दो बार मनाया जाता है । पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में ।
चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठी पर मनाए जानेवाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष
षष्ठी पर मनाए जानेवाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है । पारिवारिक सुख-स्मृद्धि
तथा मनोवांछित फलप्राप्तिके लिए यह पर्व मनाया जाता है । इस पर्वको स्त्री और
पुरुष समान रूप से मनाते हैं । छठ व्रतके संबंधमें अनेक कथाएं प्रचलित हैं; उनमें से एक कथाके अनुसार जब पांडव अपना सारा
राजपाट जुएमें हार गए, तब द्रौपदीने छठ
व्रत रखा । उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवोंको राजपाट वापस मिल गया ।
लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का
है । लोक मातृका
षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।
नहाय
खाय-17.11.2012
पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाइ कर उसे पवित्र
बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध
शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के
भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।
लोहंडा या खरना-18.11.2012
चित्र गूगल से साभार)
दूसरे दिन कार्तिक
शुक्ल पंचमी को श्रद्धालु शुद्धिकरण के लिए विशेषरूप से गंगा में डुबकी लगाते हैं
तथा गंगा का पवित्र जल अर्पण हेतु घर साथ लाते हैं। व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को चाँद
निकलने के उपरांत भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’
कहा जाता है। खरना का
प्रसाद गंगाजल में ही बनाया जाता है|खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी
लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में कहीं-कहीं गन्ने के रस में
बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा
और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। कहीं-कहीं बासमती चावल का भात और सेंधा नमक डालकर
चनै की दाल बनाई जाती है|। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता
है।
संध्या
अर्घ्य-19.112012
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है।
प्रसाद के रूप में शुद्ध घी में बने ठेकुआ के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ
प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
शाम को पूरी
तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के
साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल
पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नियत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से
अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी
मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का
दृश्य बन जाता है। इस व्रत में सभी किसी न किसी रूप में योगदान देना चाहते हैं|
प्रातः
या अरुणोदय अर्घ्य-20.11.2012
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है।
ब्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः
पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रती कच्चे दूध का शरबत
पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।
व्रत
छठ उत्सव के
केंद्र में छठ व्रत है जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्रायः महिलाओं द्वारा
किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाली महिला को
परवैतिन भी कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना
होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैय्या का भी त्याग किया जाता है। पर्व के लिए बनाए
गए कमरे में व्रती फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस
उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं। पर व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं की होती
है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर छठ करते हैं। ‘शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोंसाल तब तक
करना होता है,
जब तक कि अगली पीढ़ी
की किसी विवाहित महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए।
छठ व्रत
स्वच्छता, शुद्धता और आस्था का महापर्व है| यह प्रकृति की पूजा है| इसमें नदी,
चन्द्रमा और सूर्य- तीनों की पूजा होती है| छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसकी
सादगी पवित्रता और लोकपक्ष है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व के लिए न विशाल पंडालों और भव्य मंदिरों की जरूरत होती
है न ऐश्वर्य युक्त मूर्तियों की। यह पर्व बाँस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बरतनों,गन्ने के रस, गुड़, चावल और गेहूँ से निर्मित प्रसाद, और सुमधुर
लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार करता है।
ऋता शेखर ‘मधु’
bahut hi sundar ,atmvibhor kar dene vali prastuti.kya bhav,kya shabd,kya mithas,mt poochiye ,dil ko choogyee,छठ,pal pal ki smritio me hai tarif kene ke liye shabd nahi khoj pa rahi hu
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ऋता जी...
जवाब देंहटाएंपर्व की सुन्दर और विस्तृत जानकारी...
आपको छट की शुभकामनाएँ...
सस्नेह
अनु
कुछ वर्ष झारखंड में रहना हुआ ...तभी इस पर्व के बारे मेन विस्तार से जाना था ... बहुत सुंदर प्रस्तुति .... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया पोस्ट
जवाब देंहटाएंविस्तृत और रोचक प्रस्तुति के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर |
जवाब देंहटाएंबधाई आदरेया ||
छठ पर्व के बारे में विस्तार से इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिये आपका आभार एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंएक मर्तबा हमें भी इस पावन पर्व छठ के रीति रिवाज से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ है। आज आपकी रचना के माध्यम से पुनः जानकारी मिली और केवल जानकारी ही नही विस्तार से वर्णन पढने को मिला ...बहुत सुन्दर। "पावन पर्व छठ " की बहुत बहुत बधाई ......
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रविकर सर!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता दी!!
जवाब देंहटाएंchhath kee pavanta ka vistrit ullekh .... bahut sahi kadam . aaj maine bhi naha kha kiya hai
जवाब देंहटाएंछठ पर्व की शुभकामनाएँ दी!!
जवाब देंहटाएंghar nahi ja paye, jabki mummy chhat karti hai:(
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और विस्तृत जानकारी...
:-)
हमारी पृथ्वी १ लाख ११ हज़ार ६ सौ कि .मी .प्रति घंटे की गति से घुमते हुए अपने से १३ लाख गुने बड़े और ९ करोड़ ३० लाख मील की दूरी पर स्थित सूर्य की परिक्रमा कर रही है .सब ग्रहों का परिवार एक सौर परिवार है .एक अरब सौर परिवारों क़े समूह को एक निहारिका कहते हैं और ऐसी १५०० निहारीकाएँ वैज्ञानिक साधनों द्वारा देखी गई हैं .एक आकाश गंगा में २०० अरब तारें हैं और अरबों आकाश गंगाएं विद्यमान हैं .सूर्य हमारी पृथ्वी का निकटतम तारा है .सूर्य पर प्रितिक्षण हीलियम और हाईड्रोजन क़े विस्फोट हो रहे हैं जिनकी ऊर्जा और प्रकाश हम पृथ्वी वासियों क़े लिए जीवन दायनी शक्ति है .प्रिज्म (prism ) से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सूर्य की एक किरण में ७ रंग होते हैं -
जवाब देंहटाएं१ .बैंगनी ,२ .नीला ,३ .आसमानी ,४ .हरा ,५ .पीला ,६ .नारंगी ,७ .लाल .
हमारे प्राचीन ऋषियों ने इस तथ्य को बहुत पहले ही खोज लिया था.किन्तु महाभारत -काल क़े बाद वैदिक सिद्धांतों का क्षरण होता चला गया और कुरआन की तर्ज़ पर पुराण क़े रचयिताओं ने सारे सिद्धांतों को मटियामेट कर नयी नियमावलियां गढ़ लीं जो आज तक खूब जोर -शोर से प्रचलित हैं.सूर्य की किरण क़े सात रंगों को ७ घोड़ों में तब्दील कर दिया गया और दुष्प्रचारित किया जाने लगा कि सूर्य को सात घोड़ो का रथ खींच रहा है -इसी बात ने आधुनिक वैज्ञानिकों को यह कहने का मौका दे दिया कि हमारा देश जाहिलों का देश था ,वेद गडरियों क़े गीत थे ,यहाँ केवल शून्य का आविष्कार हुआ ,बाक़ी सारा विज्ञान पश्चिम की देन है -आदि ,आदि.
सारे तीज -त्यौहार गलत मान्यताओं और गलत तरीकों से मनाये जाने लगे -आज भी वही प्रक्रिया जारी है.
http://krantiswar.blogspot.in/2010/11/blog-post_11.html
आज विस्तार से पता लगा कि क्या होता है छठ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया