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http://www.infibeam.com/Books/shabdon-ke-aranya-mein-editor-rashmi-prabha/9789381394137.html
शब्दों के अरण्य में कुलाँचे भरती कविताएँ-एक झलक(यहाँ क्लिक करें)
भर गई झोपड़ी
गुरुकुल में सभी शिष्यों का अन्तिम दिन था| सभी उदास भी थे और खुश भी| उदास इसलिए कि सभी सखा बिछुड़ रहे थे और खुश इसलिए कि वे अपने घर...अपने परिवारजनों के पास लौट रहे थे| जब विदाई का वक्त आया तो सभी शिष्य गुरु जी के पास उनका आशीर्वाद लेने पहुँचे| गुरु जी ने प्रेमपूर्वक आशीर्वाद दिया | उन्होंने कहा कि तुम सभी हर क्षेत्र में तरक्की करो|
अन्तिम परीक्षा के रूप में गुरु जी ने सभी शिष्यों को को एक-एक रुपया दिया और कहा कि सभी इस रुपया से ऐसी वस्तु खरीदकर लाओ जिससे मेरी पूरी झोपड़ी भर जाए| सभी शिष्यों ने रुपया ले लिया और सोचने लगे कि ऐसी कौन सी वस्तु हो सकती है| एक घंटे बाद सबको एकत्रित होना था|
ऋता शेखर ‘मधु’
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शब्दों के अरण्य में कुलाँचे भरती कविताएँ-एक झलक(यहाँ क्लिक करें)
भर गई झोपड़ी
गुरुकुल में सभी शिष्यों का अन्तिम दिन था| सभी उदास भी थे और खुश भी| उदास इसलिए कि सभी सखा बिछुड़ रहे थे और खुश इसलिए कि वे अपने घर...अपने परिवारजनों के पास लौट रहे थे| जब विदाई का वक्त आया तो सभी शिष्य गुरु जी के पास उनका आशीर्वाद लेने पहुँचे| गुरु जी ने प्रेमपूर्वक आशीर्वाद दिया | उन्होंने कहा कि तुम सभी हर क्षेत्र में तरक्की करो|
अन्तिम परीक्षा के रूप में गुरु जी ने सभी शिष्यों को को एक-एक रुपया दिया और कहा कि सभी इस रुपया से ऐसी वस्तु खरीदकर लाओ जिससे मेरी पूरी झोपड़ी भर जाए| सभी शिष्यों ने रुपया ले लिया और सोचने लगे कि ऐसी कौन सी वस्तु हो सकती है| एक घंटे बाद सबको एकत्रित होना था|
एक घंटे बाद सभी शिष्य आ गए|गुरु जी ने कहा कि सब अपनी-अपनी वस्तुएँ दिखाएँ|
एक शिष्य एक बोरी फरही(मूढ़ी) लेकर आया था किन्तु उससे झोपड़ी का एक कोना ही
भर सका| एक शिष्य धुनी हुई रूई लेकर आया फिर भी झोपड़ी खाली रही| इस तरह से सभी ने
कुछ-कुछ दिखाया| एक शिष्य चुप खड़ा रहा| गुरुजी ने उससे पूछा कि वह क्या लाया|
शिष्य ने आगे बढ़कर एक छोटी सी मोमबत्ती निकाली और उसे जला दिया| प्रकाश से पूरी झोपड़ी भर गई| गुरु जी ने उठकर शिष्य को गले लगा लिया|
फिर उन्होंने शिष्य से पूछा कि इस प्रकाश को वह किस रूप में देखता है|
शिष्य ने कहा-‘ज्ञान-प्रकाश
के रूप में|’
गुरुजी ने गदगद होकर कहा-‘जाओ वत्स, संसार से अज्ञान का अन्धकार दूर करो, मेरा
आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, अच्छा सोचोगे तभी अच्छा करोगे, इससे वैर-भाव दूर होंगे
और अच्छे समाज का निर्माण हो सकेगा|’
गुरुजी का आशीर्वाद लेकर शिष्य ज्ञान-प्रकाश से जग को आलोकित करने चल पड़ा|
शिक्षाप्रद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
ज्ञान का प्रकाश ही बाह्य जगत को ही नहीं मन को भी आलोकित करता है .... सुंदर पोस्ट
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कथा....
जवाब देंहटाएंप्यारा सा सन्देश देती..
शुक्रिया
सस्नेह
अनु
वाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे...
जवाब देंहटाएंज्ञान-प्रकाश से जग को आलोकित करने चल पड़ा|
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक एवं सशक्त प्रस्तुति।
अच्छा सन्देश देती बहुत ही अच्छी कथा...
जवाब देंहटाएं:-)
सार्थक ज्ञान देती सशक्त प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंrecent post...: अपने साये में जीने दो.
ANUBHUTION KI SARTHAK AUR MAJBOOT PRASTUTI
जवाब देंहटाएंसारगर्भित...सरस ...सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कथा ! सचमुच ज्ञान का प्रकाश मन के अन्धकार को भी दूर करता है ! प्रेरक प्रसंग ! आभार आपका इसे सब के साथ साझा करने के लिये !
जवाब देंहटाएंवाह कितनी सुंदर सार्थक कहानी है । दीपावली पर इसकी उपयुक्तता और भी जायादा है ।
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