प्रकाश
वृत
भोर
की
आहट
पा
दृग
कपाट
खुलते
ही
दिख
जाती
है
झरोखे
की
झिर्री
से
झाँकती
रवि
की
प्यारी
सी
किरण
असंख्य
धूल-कणों
को
समेटे
झिलमिल
करती
रहती
वह
किरण
नन्हें
बालकों
की
चेष्टा
प्रकाश
को
मुट्ठी
में
कैद
करने
की
देख,
दीप्त
हो
हँसती
वह
किरण
रवि
की
चमकीली
किरण
धरा
पर
छोटा
सा
प्यारा
सा
प्रकाश
वृत
बनाती
किरण
पथ
का
अवरोध
मैं
हाथों
को
बनाती
धरा
का
छोटा
सा
वृत
बिना
मिटाए
मिट
जाता
बिना
उठाए
ही
वह
वृत
हाथों
पर
आ
जाता
दृग
कपाट
की
भाँति
मन
के
द्वार
तुम
खोलो
दिख
जाएगी
भक्ति
के
झरोखे
से
झाँकती
आशा
की
सघन
किरण
खुद
में
समेटे
निराशा
के
असंख्य
धूल-कण
यूं
ही
छोड़
दो
धूलकणों
को
मत
कैद
करो
मुट्ठी
में
तुम्हे
दिखेगा
वृत
सफलता
का
किरण-पथ
का
अवरोध
करो
प्रयास
के
हाथों
से,
बिना
उठाए
सफलता
वृत
आ
जाएगा
तुम्हारे
हाथों
में
|
ऋता
शेखर
‘मधु’
गहन भाव लिये उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआभार
gahan aur gambhir bhavo se paripurit prastuti दृग कपाट की भाँति
जवाब देंहटाएंमन के द्वार तुम खोलो
दिख जाएगी
भक्ति के झरोखे से झाँकती
आशा की सघन किरण
खुद में समेटे
निराशा के असंख्य धूल-कण
वृत सफलता का
जवाब देंहटाएंकिरण-पथ का अवरोध करो
प्रयास के हाथों से,
बिना उठाए सफलता वृत
आ जाएगा तुम्हारे हाथों में,,,,गहन भाव की उत्कृष्ट रचना,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
प की तरह छन्न से बिखर जाएँ सुप्रभात की किरण बन जाएँ ,मधुर भावभीनी पोस्ट बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी...
जवाब देंहटाएंउम्मीद जगाती पंक्तियाँ...
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर .गहन भाव लिए प्यारी सी रचना..शुभकामनाएं.. ऋता
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ... "प्रयास के हाथों से किरण पथ का अवरोध करो .. " क्या कहूं .. बहुत प्रेरक ..!!
जवाब देंहटाएंसादर
मधुरेश
दृग कपाट की भाँति
जवाब देंहटाएंमन के द्वार तुम खोलो
दिख जाएगी
भक्ति के झरोखे से झाँकती
आशा की सघन किरण
खुद में समेटे
निराशा के असंख्य धूल-कण
........निराशा से मुक्ति का आह्वान करती
गहन भाव/उत्कृष्ट रचना,
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको
जवाब देंहटाएं