शनिवार, 3 नवंबर 2012

सफलता का वृत




प्रकाश वृत

भोर की आहट पा
दृग कपाट खुलते ही
दिख जाती है
झरोखे की झिर्री से झाँकती
रवि की प्यारी सी किरण
असंख्य धूल-कणों को समेटे
झिलमिल करती रहती वह किरण
नन्हें बालकों की चेष्टा
प्रकाश को मुट्ठी में कैद करने की
देख, दीप्त हो हँसती वह किरण

रवि की चमकीली किरण
धरा पर छोटा सा प्यारा सा
प्रकाश वृत बनाती
किरण पथ का अवरोध
मैं हाथों को बनाती
धरा का छोटा सा वृत
बिना मिटाए मिट जाता
बिना उठाए ही वह वृत
हाथों पर जाता

दृग कपाट की भाँति
मन के द्वार तुम खोलो
दिख जाएगी
भक्ति के झरोखे से झाँकती
आशा की सघन किरण
खुद में समेटे
निराशा के असंख्य धूल-कण

यूं ही छोड़ दो धूलकणों को
मत कैद करो मुट्ठी में
तुम्हे दिखेगा
वृत सफलता का
किरण-पथ का अवरोध करो
प्रयास के हाथों से,
बिना उठाए सफलता वृत
जाएगा तुम्हारे हाथों में |
ऋता शेखर ‘मधु’

10 टिप्‍पणियां:

  1. गहन भाव लिये उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

    आभार

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  2. gahan aur gambhir bhavo se paripurit prastuti दृग कपाट की भाँति
    मन के द्वार तुम खोलो
    दिख जाएगी
    भक्ति के झरोखे से झाँकती
    आशा की सघन किरण
    खुद में समेटे
    निराशा के असंख्य धूल-कण

    जवाब देंहटाएं
  3. वृत सफलता का
    किरण-पथ का अवरोध करो
    प्रयास के हाथों से,
    बिना उठाए सफलता वृत
    आ जाएगा तुम्हारे हाथों में,,,,गहन भाव की उत्कृष्ट रचना,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

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  4. प की तरह छन्न से बिखर जाएँ सुप्रभात की किरण बन जाएँ ,मधुर भावभीनी पोस्ट बधाई

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  5. बहुत प्यारी...
    उम्मीद जगाती पंक्तियाँ...

    सस्नेह
    अनु

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  6. बहुत सुन्दर .गहन भाव लिए प्यारी सी रचना..शुभकामनाएं.. ऋता

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  7. बहुत ही सुन्दर ... "प्रयास के हाथों से किरण पथ का अवरोध करो .. " क्या कहूं .. बहुत प्रेरक ..!!
    सादर
    मधुरेश

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  8. दृग कपाट की भाँति
    मन के द्वार तुम खोलो
    दिख जाएगी
    भक्ति के झरोखे से झाँकती
    आशा की सघन किरण
    खुद में समेटे
    निराशा के असंख्य धूल-कण
    ........निराशा से मुक्ति का आह्वान करती

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  9. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

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