जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
जन हित हो जीवन का मकसद
दुनिया में अलख जगाना है
साफ सुलभ रस्तों पर चलकर
बन्धु बान्धव घर को जाएँ
कहीं मिले न कूड़ा कचरा
प्रयत्न सदा यहीं कर आएँ
गली मुहल्ले मह मह महकें
फूलों के बीज लगाना है
जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
अंधियारों में पथ रौशन हो
पोल पोल पर बल्ब जले
ठोकर खाकर गिरे न कोई
गढ्ढे सड़कों के भरे मिलें
समवेत प्रयासों से सबको
ऐसा ही नगर बसाना है
जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
सड़कों पर नारी निडर रहे
बच्चों को मिल जाये पोषण
अमीर गरीब का भेद मिटे
मजदूरों का हो न शोषण
छोटे छोटे डग भर भर कर
हमे हिमालय पाना है
जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
-ऋता शेखर मधु
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को ७० वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "ब्लॉग बुलेटिन का स्वतंत्रता दिवस विशेषांक “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद शुभम जी !
हटाएंसुन्दर रचना । शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील जी !
हटाएंधन्यवाद सुशील जी !
हटाएंआभार शास्त्री सर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएं