रविवार, 14 अगस्त 2016

एक शपथ-स्वतंत्रता दिवस के लिए

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जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
जन हित हो जीवन का मकसद
दुनिया में अलख जगाना है

साफ सुलभ रस्तों पर चलकर
बन्धु बान्धव घर को जाएँ
कहीं मिले न कूड़ा कचरा
प्रयत्न सदा यहीं कर आएँ
गली मुहल्ले मह मह महकें
फूलों के बीज लगाना है

जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है

अंधियारों में पथ रौशन हो
पोल पोल पर बल्ब जले
ठोकर खाकर गिरे न कोई
गढ्ढे सड़कों के भरे मिलें
समवेत प्रयासों से सबको
ऐसा ही नगर बसाना है

जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है

सड़कों पर नारी निडर रहे
बच्चों को मिल जाये पोषण
अमीर गरीब का भेद मिटे
मजदूरों का हो न शोषण
छोटे छोटे डग भर भर कर
हमे हिमालय पाना है

जन कल्याण की लिए मशाल
हम सबको बढ़ते जाना है
-ऋता शेखर मधु

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-08-2016) को "एक गुलाम आजाद-एक आजाद गुलाम" (चर्चा अंक-2436) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    ७० वें स्वतन्त्रता दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को ७० वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "ब्लॉग बुलेटिन का स्वतंत्रता दिवस विशेषांक “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं

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