तुम जिन्दा
हो
आइने के सामने खड़ा होकर वह सोच रहा था,
“वो कौन सी शक्ति थी जो
बार बार उससे कह रही थी - कूद जाओ, तुम्हारी किसी को जरूरत नहीं|”
सेन फांसिसको के गोल्डन ब्रिज से वह प्रायः गुजरता था फिर उस
दिन उसके मन में यह बात क्यों आई| क्या वाकई सागर की लहरों ने उसे बुलाया या वह
मात्र वहम् था| प्यार में धोखा खाने के बाद खुद को खत्म कर लेने का विचार ही तो उन
लहरों से नहीं गूँज रहा था|
“जिन्दगी से भागने वाले कायर होते हैं,” दृढ़तापूर्वक दोस्तों
के बीच यह कहने वाला खुद जिन्दगी से भाग खड़ा होने को तैयार था|"
यह कुदरत का करिश्मा ही था कि उस दिन ब्रिज से बीच महासागर में
छलांग लगाने के बाद वह सी- लायन की पीठ पर अटक गया था| बचाव दस्ता की नजर पड़ी और
उसे बचा लिया गया|
आज आइने का अक्स कह रहा था, “जिन्दगी को तुम्हारी जरूरत थी
इसलिए तुम जिन्दा हो| पर कायर भी हो, इसे स्वीकार कर लो|”
“ हाँ, हाँ मैं कायर हूँ और वह निर्णय मेरी सबसे बड़ी भूल थी,”
उसका दिल चीख चीख कर कह रहा था|
--ऋता शेखर ‘मधु’
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-08-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2431 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
aatmhatya kisi pareshani ka vikalp nahi ..achchhi rachna ..
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