बारिश की प्रथम बूँद
फोटो-Friends18.com से साभार
घटा छाई घनघोर सखी री
नाचे मन का मोर
बूँद-बूँद बरसा नीर सखी री
तन मन हुआ विभोर
सोंधी खुशबू उड़ी सखी री
मन में उठा हिलोर
भीग गई चूनर सखी री
गीली हुई साड़ी की कोर
पौधे झूमें लहराएँ सखी री
हुआ भँवरों का शोर
खिले सुमन सुंदर सखी री
जी चाहे लूँ बटोर
चाँदनी शीतल हुई सखी री
टक टक तके चकोर
आए किसी की याद सखी री
क्या संध्या क्या भोर
मन हुलसा तन हुलसा सखी री
चले न कोई जोर
बूँद बन गई धारा सखी री
बहे किसी भी ओर
चल बारिश में चल सखी री
भूलें ओर और डोर
आ झूला झूलें सखी री
छू लें गगन का छोर|
ऋता शेखर ‘मधु’
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बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई! चित्र भी बहुत सुन्दर लगा!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मौसम के अनुकूल मधुर गीत । बहुत सुन्दर !मधुर भाषा ! फोटो लाजवाब !!
जवाब देंहटाएंनए ब्लॉग आपको बहुत बहुत मुबारक !
जवाब देंहटाएंजितना सुन्दर आपका ब्लॉग है .....उतना ही सुन्दर नाम ......मधुर गुंजन
मानो कानों में रस घोल रहा है !
यह कविता पढ़कर मन भीगता ही चला गया ...इन शब्द बूँदों में !!
बधाई स्वीकार करें !
हरदीप
भावों से भरी एक मोहक रचना...सावन के अनुकूल...मेरी बधाई...।
जवाब देंहटाएंप्रियंका
कविता पढ़ते-पढ़ते मैं तो भींग ही गया|
जवाब देंहटाएंकविता और फोटो एक दूसरे को सजीवता
प्रदान कर रहे हैं|
बूँद बन गई धारा सखी री
जवाब देंहटाएंबहे किसी भी ओर
चल बारिश में चल सखी री
भूलें ओर और डोर
आ झूला झूलें सखी री
छू लें गगन का छोर|
bhigi bhigi si kavita
yahan bahut garmi hai aapne itna sunder chitr lagaya hai man horaha tha ki bhig jaun is barish me
bahut sunder
badhai
rachana
जितना अच्छा चित्र,
जवाब देंहटाएंउतनी अच्छी कविता -
इन भिगी पंक्तियों के लिए,
शुक्रिया आपको ऋता !
यह कविता और चित्र एक दूसरे की सार्थकता इतनी सिद्ध करते हैं कि मन स्वयं ही गुनगुनाने लगता है |
बारिश पर एक सुन्दर गीत लिखा है सखी रे ... ब्लॉग में आने पर आपको ब्लॉग सखी मान लिया ..आप इसी तरह से सुन्दर सुन्दर कविताओं से हमारे मन को भिगोती रहें ..सादर
जवाब देंहटाएंmanmohak kriti, badhai.
जवाब देंहटाएंshabd shabd to bhig
जवाब देंहटाएंhi raha hai is
barish main lekin
man bhi bhi gaya
bahut hi accha likhte hain aap
chulain gagan ka chor waah....
कोमल भावों से सजी ..
जवाब देंहटाएं..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
बहुत ही सुन्दर कविता , वर्षा ऋतू को आपने बहुत अच्छे शब्दों में अलंकृत किया है ..
जवाब देंहटाएंबधाई !!
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 21 -06-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... कुछ जाने पहचाने तो कुछ नए चेहरे .
waah ...sundar rachna ....sundar bhaav ...
जवाब देंहटाएंभिगोती हुई कविता
जवाब देंहटाएंसादर
कोमल भावो से सजी सुन्दर गीत...बधाई ऋता..
जवाब देंहटाएंमन झूम उठा ......वाह बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंchitr jaisi khoobsurat hai kavita.
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