नम्बर का चक्कर
नाम अभी मिला नहीं, जाने गए शिशु-नम्बर से|
यदि प्रथम सन्तान है तो कहे गए पहली
फिर दूसरी, तीसरी, चौथी या पाँचवीं|
हम नाम नहीं, एक नम्बर हैं
स्कूल में रौल नम्बर हैं
बोर्ड में रजिस्ट्रेशन नम्बर हैं
डाक्टर के पेशेंट नम्बर हैं
हास्पीटल में बेड का नम्बर हैं
दूर में मोबाइल नम्बर हैं
आफिस में एम्पलाई नम्बर हैं
गैरेज में गाड़ी नम्बर हैं
पोस्टआफिस में मकान नम्बर हैं
बैंक में पासबुक नम्बर हैं
गैस-कनेक्शन में ग्राहक नम्बर हैं
रसोई में राशनकार्ड नम्बर हैं
खरीदारी में क्रेडिट कार्ड नम्बर हैं
बिज़नेस में पैन नम्बर हैं
देश में वोटर नम्बर हैं;
विदेश में पासपोर्ट नम्बर हैं|
नम्बरों की भीड़ में घिरा है आदमी|
खो गया नम्बर अगर,तो खोया है आदमी||
ऋता शेखर ‘मधु’
वाह ! कभी ऐसे तो न सोचा था...नवीन विचार के लिए बहुत बधाई...।
जवाब देंहटाएंप्रियंका
नम्बरों की भीड़ में घिरा है आदमी
जवाब देंहटाएंअब शुरु हो गया है आधार का नम्बर भी।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 31-01-2013 को यहाँ भी है
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आज की हलचल में.....मासूमियत के माप दंड / दामिनी नहीं मिलेगा तुम्हें न्याय ...
.. ....संगीता स्वरूप
. .
नम्बरों की भीड़ में घिरा है आदमी|
जवाब देंहटाएंखो गया नम्बर अगर,तो खोया है आदमी||
वाह सटीक आकलन किया है
वाह ...बिलकुल ही नया दृष्टिकोण...कभी ध्यान ही नहीं गया इस बात पर.....वाकई इंट्रेस्टिंग !!
जवाब देंहटाएं:-))
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने ...... मधु जी !
~सादर!!!
नम्बरों का खेल..हम न्म्बर से ही पैदा हुए हैं..
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! नितांत मौलिक सोच के साथ अद्भुत रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंइस ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया....अच्छा लगा पढ़कर
जवाब देंहटाएंकभी-कभी लगता है दुनिया गणित का गोरखधंधा है -चारों और नंबग बिखरे हैं कोई सवाल हल होता ही नहीं.
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