दुनिया तो रैन बसेरा है
क्या तेरा है क्या मेरा है
जरा सीख लो मानवता
जरा सरल भी बन जाना
फिर तो नया सवेरा है
दुनिया के रेलम ठेला में
ब्रह्म मुहुर्त की बेला में
रब का अंतस में रख लो
कर्मों में रत होकर देखो
यह सुकून का डेरा है
दुनिया में हैं दीन दुखी
उनको गले लगा लेना
बिन आँचल के मासूमों को
झट से गोद उठा लेना
आशिष का भाव घनेरा है
छल द्वंद से दूर रहे जो
शुभ कर्मों में चूर रहे जो
सही वक्त पर सही काम हो
हाथ में श्रम मन में राम हो
चतुर्दिक मान का घेरा है
क्या तेरा है क्या मेरा है
दुनिया तो रैन बसेरा हे
बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंbahut sundar ,dunia hi rain basera hai
जवाब देंहटाएंनई रचना मेरा जन्म !