शनिवार, 24 मार्च 2012

किसी को इतना न सताओ...




किसी को इतना न सताओ
कि उसकी मदद को
कायनात चल पड़े...

निर्दोष आँखों में
इतने आँसू न भरो
कि उसे सुखाने
ठंढी बयार चल पड़े...

उज्जवल जीवन में
इतने अंधकार न भरो
कि राह दिखाने
जुगनुओं की जमात चल पड़ें...

सरस कानों में
इतने टंकार न भरो
कि उसे भुलाने
कोयलों की कतार चल पड़े...

निर्मल दिलों में
इतने अंगार न भरो
कि उसे सहलाने
पावस की फुहार चल पड़े...

किसी की राहों में
इतने काँटे न बिछाओ
कि उसे हटाने
पँखुड़ियाँ अपार बिछ पड़ें...

भोलापन ईश्वर की नियामत है
इतनी निर्ममता से न कुचलो
कि उसे गुदगुदाने
तितलियों के पंख मचल पड़ें...

किसी को अपमानों के
इतने घूँट न पिलाओ
कि उसे अमर बनाने
पीयुष की धार चल पड़े...

नाहक किसी के लिए
इतनी नफ़रतें न पालो
कि उसके लिए
सृष्टि का प्यार उमड़ पड़े...

जिसका कोई नहीं
उसके लिए
प्रभु का प्यार है...
प्रकृति का दुलार है...

ऋता शेखर मधु

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुन्दर ऋता जी....
    दिल को छू गयी आपकी रचना..

    किसी को अपमानों के
    इतने घूँट न पिलाओ
    कि उसे अमर बनाने
    पीयुष की धार चल पड़े...

    जितनी तारीफ करूँ कम होगी...

    सस्नेह.

    जवाब देंहटाएं
  2. जिसका कोई नहीं
    उसके लिए
    प्रभु का प्यार है...
    प्रकृति का दुलार है... bahut hi sundar kavya..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत शानदार लिखा है आपने
    " किसी को अपमानों के
    इतने घूँट न पिलाओ
    कि उसे अमर बनाने
    पीयुष की धार चल पड़े."

    जवाब देंहटाएं
  4. खुदा उसी के साथ होता है ... चिंता कैसी डर कैसा

    जवाब देंहटाएं
  5. जो लोग समाज में ज्यादा प्रताड़ित होते हैं (या विरोध झेलते हैं), उनमे वास्तव में एक अद्भुत क्षमता आ जाती है.. जैसे कि सारी कायनात उनकी मदद कर रही हो!
    सुन्दर रचना, गहरी बातें.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बिलकुल सही ।

    प्रभावशाली प्रस्तुति ।।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर ऋता जी....सुन्दर भाव समेटे सुन्दर अभिव्यक्ति..

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही खूबसूरत दिल को छूती अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  9. जिसका कोई नहीं
    उसके लिए
    प्रभु का प्यार है...
    प्रकृति का दुलार है...

    ....बहुत सच कहा है...बहुत गहन भाव और उनकी सुंदर प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  10. जिसका कोई नहीं
    उसके लिए
    प्रभु का प्यार है...
    प्रकृति का दुलार है...

    हां, प्रकृति अपनी ममता सब पर लुटाती है।

    जवाब देंहटाएं
  11. "किसी को अपमानों के
    इतने घूँट न पिलाओ
    कि उसे अमर बनाने
    पीयुष की धार चल पड़े"
    सुंदर अभिव्यक्ति......

    जवाब देंहटाएं
  12. Mam,


    "Kisi ko etna na satao" rachna dekh kar apne kuch beete hue pal yaad aagye bahut hi sunder rachna.. tarif ke liye shabd hi nahi. really a realistic one in this competitive era...

    जवाब देंहटाएं
  13. किसी को इतना न सताओ
    कि उसकी मदद को
    कायनात चल पड़े...
    अनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  15. जिसका कोई नहीं
    उसके लिए
    प्रभु का प्यार है...
    प्रकृति का दुलार है...

    BEST

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!