ग़ज़ल
बेबसी की ज़िन्दगी से ज्ञान लेती मुफ़लिसी
मुश्किलों से जीतने की ठान लेती मुफ़लिसी
आसमाँ के धुंध में अनजान सारे पथ हुए
रास्तों को ग़र्द से पहचान लेती मुफ़लिसी
बारिशों में भीगते वो सर्दियों में काँपते
माहताबी उल्फ़तों का दान लेती मुफ़लिसी
भूख की ज्वाला बढ़ी तब पेट पकड़े सो गए
घ्राण से ही रोटियों का पान लेती मुफ़लिसी
धूप को सिर पर लिए जो ईंट गारा ढो रहे
वो ख़ुदा के हैं क़रीबी मान लेती मुफ़लिसी
ठोकरों से भी बिखर कर धूल जो बनते नहीं
पर्वतों से स्वाभिमानी शान लेती मुफ़लिसी
यह ख़ला है ख़ूबसूरत बरक़तें होती जहाँ
गुलशनों में शोख़ सी मुस्कान लेती मुफ़लिसी
-ऋता शेखर ‘मधु’
बेबसी की ज़िन्दगी से ज्ञान लेती मुफ़लिसी
मुश्किलों से जीतने की ठान लेती मुफ़लिसी
आसमाँ के धुंध में अनजान सारे पथ हुए
रास्तों को ग़र्द से पहचान लेती मुफ़लिसी
बारिशों में भीगते वो सर्दियों में काँपते
माहताबी उल्फ़तों का दान लेती मुफ़लिसी
भूख की ज्वाला बढ़ी तब पेट पकड़े सो गए
घ्राण से ही रोटियों का पान लेती मुफ़लिसी
धूप को सिर पर लिए जो ईंट गारा ढो रहे
वो ख़ुदा के हैं क़रीबी मान लेती मुफ़लिसी
ठोकरों से भी बिखर कर धूल जो बनते नहीं
पर्वतों से स्वाभिमानी शान लेती मुफ़लिसी
यह ख़ला है ख़ूबसूरत बरक़तें होती जहाँ
गुलशनों में शोख़ सी मुस्कान लेती मुफ़लिसी
-ऋता शेखर ‘मधु’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-11-2017) को "लगता है सरदी आ गयी" (चर्चा अंक-2797) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 नवम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल
बहुत बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शेर ...
जवाब देंहटाएंप्रखर और सीढ़ी बात रखते हुए ... बहुत सुन्दर ...
धूप को सिर पर लिए जो ईंट गारा ढो रहे
जवाब देंहटाएंवो ख़ुदा के हैं क़रीबी मान लेती मुफ़लिसी
वाह!!!!
बहुत बहुत बहुत लाजवाब....
बहुत ख़ूब ! बहुत ही ख़ूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
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