गुरुवार, 30 नवंबर 2017

जिंदगी में हर किसी को है किसी का इन्तिज़ार

इन्तिज़ार

सर्वशक्तिमान को है बंदगी का इन्तिज़ार
जिंदगी में हर किसी को है किसी का इन्तिज़ार

लाद कर किताब पीठ पर थके हैं नौनिहाल
'वो प्रथम आए', विकल है अंजनी का इन्तिज़ार

पढ़ लिए हैं लिख लिए हैं ज्ञान भी वे पा लिए हैं
अब उन्हें है व्यग्रता से नौकरी का इन्तिज़ार

बूँद स्वाति की मिले, समुद्र को लगी ये आस
तलछटी के सीप को है मंजरी का इन्तिज़ार

ब़ाग़वाँ को त्याग कर विदेश को जो चल दिये हैं
निर्दयी वो भूल जाते भारती का इन्तिज़ार

--ऋता शेखर 'मधु'

1 टिप्पणी:

  1. इस सुंदर खूबसूरत इंतजार के लिए बहुत बहुत बधाई.
    यह इंतजार कुछ पाने की चाह ही तो इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. यदि यही न हो तो जीवन में कुछ नहीं बचता. इंतजार सुंदर होता है. शुभकामनाएं

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