शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

क्रिसमस कहमुकरी

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तीन कहमुकरियाँ...
१.
बड़ा दिवस में वापस आता
झोली भरकर चीजें लाता
खुश हो जाती प्यारी कांता
का सखि साजन?
ना सखि सांता
२.
प्रेम का तोहफ़ा उसकी बोली
भरी यीशु से उसकी झोली
दूर रखे वह सैनिटोरियम
का सखि साजन?
ना सखि मरियम
३.
उसकी गलियाँ बड़ी सुहानी
शाति प्रीति लगी हैं रुहानी
दया क्षमा वह बाँटे हँस-हँस
का सखि साजन?
ना सखि क्रिसमस

*ऋता शेखर ‘मधु’*

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-12-2015) को "मीर जाफ़र की तलवार" (चर्चा अंक-2202) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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