सरसी छंद -- बढ़े देश का मान.....
नया साल लेकर आया है, पीत सुमन के हार|
नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार||
हम बसंत के मस्त पवन में, गाएँ अपना गान|
झंडा ऊँचा रहे हमारा, बढ़े देश का मान||1||
हिम की नदिया जब पिघलेगी, फेनिल होगी धार|
सुर की देवी फिर छेड़ेंगी, निज वीणा के तार||
नीला नीला अम्बर होगा, होंगे प्रेम पराग |
मेघ नेह का जब उमड़ेगा, उमग उठेगा फाग ||2||
गले मिलेंगे भाई भाई, मिट जाएँगे द्वेष |
चैत्र माह में फिर पाएगा, अपना सूरज मेष ||
कोयलिया राग सुनाएगी, महक उठेंगे बौर |
फूलों की डोली लाएँगे, ऋतुओं के सिरमौर||3||
नारी मर्यादा लौटेगी, खुशियाँ होंगी पास|
जात पात का भेद न होगा, ऐसा है विश्वास ||
मानवता की चौखट पर, सुरभित होगा हर्ष |
दिल से दिल के तार बँधेंगे, आएगा नव वर्ष ||4||
*-ऋता शेखर ‘मधु’-*
नया साल लेकर आया है, पीत सुमन के हार|
नए गगन में अब लो पंछी, अपने पंख पसार||
हम बसंत के मस्त पवन में, गाएँ अपना गान|
झंडा ऊँचा रहे हमारा, बढ़े देश का मान||1||
हिम की नदिया जब पिघलेगी, फेनिल होगी धार|
सुर की देवी फिर छेड़ेंगी, निज वीणा के तार||
नीला नीला अम्बर होगा, होंगे प्रेम पराग |
मेघ नेह का जब उमड़ेगा, उमग उठेगा फाग ||2||
गले मिलेंगे भाई भाई, मिट जाएँगे द्वेष |
चैत्र माह में फिर पाएगा, अपना सूरज मेष ||
कोयलिया राग सुनाएगी, महक उठेंगे बौर |
फूलों की डोली लाएँगे, ऋतुओं के सिरमौर||3||
नारी मर्यादा लौटेगी, खुशियाँ होंगी पास|
जात पात का भेद न होगा, ऐसा है विश्वास ||
मानवता की चौखट पर, सुरभित होगा हर्ष |
दिल से दिल के तार बँधेंगे, आएगा नव वर्ष ||4||
*-ऋता शेखर ‘मधु’-*
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ख़ुशी की कविता या कुछ और?“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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