बह जाएगी पीर सब, देकर दिल को धीर।।1
मन दर्पण जब स्वच्छ हो, दिखते सुन्दर चित्र।
धब्बे कलुषित सोच के, धूमिल करें चरित्र।।2
मन के तरकश में भरे, बोली के लख बाण।
छूटें तो लौटें नहीं, ज्यों शरीर के प्राण।।3
अवसादों की आँधियाँ, दरकाती हैं भीत।
गठरी खोलो प्रीत की, जाए समय न बीत।।4
अमरबेल सा बढ़ गयी, मनु की ओछी बात।
शनै शनै होने लगा,मधुर सोच का पात।।5
उम्र बनी हैं पादुका, पल बन जाता चाल।
तन बचपन को छोड़कर, उजले करता बाल।।6
समय पर अधिकार नहीं, वश में रहती याद।
भूलें उनमें नीम को, आम रखें आबाद।।7
कौन सफल कितना कहो, कैसे हो यह माप।
यश, वैभव या विद्वता, खुद ही जानो आप।।8
तेज भागती जिंदगी, ब्रेकर की है नीड।
उतार चढ़ाव दुःख सुख, कंट्रोल करे स्पीड।।9
मन यायावर बावरा, करे जगत की सैर।
अपनी जूती ढूँढते, सिंड्रेला के पैर ।।10
जो एसी में बैठकर, दिनभर रहते मस्त।
गर्मी के अहसास से, कब होते हैं त्रस्त।।11
गर्मी के अहसास को, शीतल करती छाँव।
तरु को अब मत काट मनु, बिलख रहा है गाँव।12
-ऋता
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंअमरबेल सा बढ़ गयी, मनु की ओछी बात।
जवाब देंहटाएंशनै शनै होने लगा,मधुर सोच का पात।।
अति सुंदर
स्वागत हैं आपका खैर
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन पहली भारतीय फीचर फिल्म के साथ ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंNice Lines,Convert your lines in book form with
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