जिसने मोर मुकुट किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
अपने मुख से दधि लपटाए
बाल रूप में कान्हा भाए
मात जसोदा लेती बलैंयाँ
नंद मंद मंद मुस्काए
जिसने बैजंती किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
गौर वर्ण की राधा प्यारी
कृष्ण की सूरत श्यामल न्यारी
सदा प्रीत की रीत निभाए
ग्वाल बाल सब हुए बलिहारी
जिसने बंसी धुन किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
कोपित इंद्र जब झुक नहीं पाए
बूँद झमाझम वह बरसाए
अँगुली पर पर्वत को थामे
सबको बा़के बिहारी बचाए
जिसने गोवर्धन किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
बाल सखा को देखके रोए
फटे पाँव वह प्रेम से धोए
पूछें आलिंगन में भर भर
मित्र अभी तक कहाँ थे खोए
जिसने दिल में दया किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
चक्र लिए विष्णु जी आए
कृष्ण रूप में खूब समाए
कुरुक्षेत्र में रण के रथ पर
विकल पार्थ को वह समझाए
जिसने सारथि रूप किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
जिसने मोर मुकुट किया है धारण
उनके चरणों की मैं हूँ पुजारन
--ऋता शेखर मधु
सुन्दर गीत
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