अपने मत का दान कर, चुनना है सरकार।
इसमें कहीं न चूक हो, याद रहे हर बार।।
याद रहे हर बार, सही सांसद लाना है।
जो करता हो काम, उसे ही जितवाना है।
सर्वोपरि है देश, जहाँ पलते हैं सपने।
'मधु' उन्नत रख सोच, चुनो तुम नेता अपने।।१
जिम्मेदारी आपकी, चुनने की सरकार।
सजग भाव से लीजिये, अपना यह अधिकार।।
अपना यह अधिकार, भला क्योंकर खोना है।
देकर अपना वोट, वहाँ शामिल होना है।
पक्की कर लो 'ऋता', चुनावी हिस्सेदारी।
चुनने की सरकार, हमारी जिम्मेदारी।।२
जागो नेता देश के, खूब बजाओ ढोल।
जी भर-भर के खोल दो, इक दूजे की पोल।।
इक दूजे की पोल, बड़ी लगती है प्यारी।
भाषाओं की लोच, निरीह लगे बेचारी।
त्यागो 'मधु' आलस्य को, वोट देने को भागो।
दो झूठों को सीख, देश की जनता जागो।।३
जनशासन में वोट का, सबको है अधिकार|
योग्य पात्र को तौलकर, बटन दबाओ यार||
बटन दबाओ यार, यही है भागीदारी |
दलबदलू के साथ ,न करना रिश्तेदारी|
स्वयं रहे जो नेक, निभाता वह अनुशासन|
'ऋता' है खुशनसीब, यहाँ पायी जनशासन||४
सारे नेता भ्रष्ट हैं, रखें न ऐसी सोच|
प्रजा कुशल है जौहरी, कहाँ रहे फिर लोच||
कहाँ रहे फिर लोच, परख कर लायें हीरा|
ढूँढ निकालें आप, उष्ट के मुँह से जीरा|
'मधु', तुम जाओ बूथ, वोट दो सुबह सवारे|
रखो न ऐसी सोच, भ्रष्ट हैं नेता सारे ||
--ऋता शेखर 'मधु'
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.4.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3313 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/04/2019 की बुलेटिन, " जोकर, मुखौटा और लोग - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन 👌
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