एक साक्षात्कार- हिन्दी रानी से
हिन्दी रानी भारतवर्ष में रहती हैं। इनकी पहुँच भारतीय संविधान से लेकर घर-घर जन-जन तक है। आम जनता में ये बहुत लोकप्रिय हैं। ये सदियों से यहाँ विराज मान हैं।
हिन्दी रानी के सम्मान और अवहेलना को लेकर हमेशा ही सवाल उठाए जाते रहे हैं।
हिन्दी दिवस के अवसर पर मैंने सोचा कि क्यों न मैं उनसे ही बातें कर लूँ। यह विचार आते ही मैंने झटपट उनसे साक्षात्कार की तिथि निश्चित कर ली। १३ सितम्बर की तिथि निश्चित हुई। मैं उनके घर पहुँची और कॉलबेल दबाया।
दरवाजा खुला और बहुत ही ओजस्वी, गरिमामयी और सुसंस्कृत हिन्दी रानी का पदार्पण हुआ। मैं ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया। हिन्दी रानी ने भी अतिथि देवो भवः की परम्परा को निभाते हुए मीठी मुस्कान से स्वागत किया।
मैंने बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए कहा-
‘कल आपका जन्मदिन है, बहुत-बहुत बधाई!’
‘धन्यवाद’
‘आपकी उम्र क्या होगी?’
‘बासठ वर्ष’
‘सिर्फ़ बासठ वर्ष, किन्तु आप तो यहाँ सदियों से हैं।’
‘सही कहा आपने, भारतीय संविधान में मुझे राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर १९४९ को शामिल किया गया, इसलिए मैंने अपनी उम्र बासठ साल बताई।’
‘ओह, फ़िर ठीक है। इस तिथि को आपका जन्मदिवस मनाने का फ़ैसला किसने लिया।’
‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,वर्धा ने १९५३ में सरकार से इसकी अनुमति माँगी, तबसे यह दिन मेरे जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।’
‘राजभाषा के रूप में आपको शामिल करने की बात संविधान के किस धारा में वर्णित है।’
‘भाग १७ के अध्याय की धारा ३४३(१) में’
‘आपको लिखने के लिए कौन सी लिपि का इस्तेमाल किया जाता है।’
‘देवनागरी लिपि का’
‘विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में आप किस स्थान पर हैं।’
‘तीसरे स्थान पर’
‘अच्छा, अब आप यह बताएँ कि क्या आपका प्रयोग अंक लिखने के लिए किया जाता है?’
‘नहीं, हिन्दी प्रेमी अंक लिखने के लिए मेरा इस्तेमाल करते हैं किन्तु संविधान के अनुसार अंतरराष्ट्रीय अंक ही प्रयोग करने का नियम है।’
‘भारतवर्ष में आपका सम्मान होता है या अवहेलना होती है, इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगी।
अब हिन्दी रानी कुछ देर के लिए रूकीं। फ़िर मन्द मुस्कान के साथ बोलने लगीं-
‘भारतवर्ष में मैं अपनी स्थिति से संतुष्ट हूँ। सर्वप्रथम मनोरंजन की दुनिया को ही लीजिए हिन्दी सिनेमा और दूरदर्शन पर हिन्दी धारावाहिकों के माध्यम से मैं छाई रहती हूँ। ज्यादातर हिन्दी-समाचार चैनल ही देखे जाते हैं, समाचार-पत्रों में हिन्दी समाचार-पत्र ज्यादा लोकप्रिय हैं, साहित्य-जगत में हिन्दी-साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है।’
‘फिर लोग क्यों कहते हैं कि देश में हिन्दी की अवहेलना होती है और हिन्दी उपेक्षित है।’
‘एक बात मैं कहना चाहती हूँ कि जब कुछ लोग आपस में बातें करते हैं, तो जो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं उनके लिए सामने वाले की आँखों में इज्ज़त का भाव उभरता है, उस समय स्वयं को उपेक्षित महसूस करती हूँ।’
‘उच्च शिक्षा की किताबें भी अंग्रेजी में होती हैं, इस बारे में आपका क्या ख्याल है।’
‘मैं यह मानती हूँ कि मैं थोड़ी जटिल हूँ, इसलिए उच्चशिक्षा में अंग्रेजी से मुझे कोई आपत्ति नहीं है।’
‘अपने जन्मदिन के अवसर पर आप देश की जनता को क्या सन्देश देना चाहेंगी।’
‘मैं यह कहना चाहती हूँ कि आप जितना सहज अपनी मातृभाषा में रह पाते हैं उतना किसी और भाषा में नहीं। फिर क्यों अपनी भाषा बोलते हुए शर्माते हैं। अपनी भाषा को ससम्मान अपनाइए। मैं प्रवासी भारतीयों की शुक्रगुज़ार हूँ जो विदेश में रहकर भी मुझे सप्रेम अपनाते हैं।’
‘क्या आप अपने प्रचार-प्रसार के लिए किसी को धन्यवाद कहना चाहेंगी।’
‘आधुनिक तकनीक में मैं हिन्दी चिट्ठाकारों(ब्लॉगर्स) को धन्यवाद कहना चाहती हूँ जो बड़े मन से मेरे प्रचार- प्रसार में लगे हैं।’
मेरे प्रश्न ख़त्म हो चुके थे।बातें समाप्त करते हुए मैंने कहा,
‘अच्छा, अब इज़ाज़त दीजिए, हैप्पी बर्थडे टु यू।’
‘जन्मदिन मुबारक हो, कहिए।’
मैं मन ही मन शर्मिंदा हो गई।
‘सॉरी’ मैंने कहा।
‘मुझे खेद है, कहिए।’ हिन्दी रानी ने फिर से भूल सुधार किया।
अब मैंने वहाँ से जाने में ही भलाई समझी।
तभी पीछे से आवाज़ आई, ‘गुड नाइट’। हिन्दी रानी मुस्कुरा रही थीं।
मैंने हँसकर ‘शुभ रात्रि ’कहा और आगे बढ़ गई।’
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ऋता शेखर ‘मधु’
http://www.rachanakar.org/2011/09/blog-post_6895.html
आगे पढ़ें: रचनाकार: ऋता शेखर ‘मधु’ की हिंदी दिवस विशेष रचना : एक साक्षात्कार- हिन्दी रानी से http://www.rachanakar.org/2011/09/blog-post_6895.html#ixzz24a7CQ9p4
वाह ... तेज व्यंग की धार ...
जवाब देंहटाएंये सच है की हम एक दिन मना के अपने कर्तव्य की इति समझ लेते हैं ... हिंदी को देनी-दिनी में उतारने की जरूरत है ...
हाय हाय हिंदी हठी, हाकिम हुज्जत हूल ।
जवाब देंहटाएंफिर भी तू जिन्दा बची, महक कुदरती फूल ।
महक कुदरती फूल, चहकती बाजारों में ।
घूमे देश विदेश, पर्यटन व्यापारों में ।
रोजगार मिल रहे, सभी क्षेत्रो में फैली ।
सीख रहे वे शत्रु, नजर जिनकी थी मैली ।
Very good
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शानदार हिंदी दिवस पर आपकी यह रचना तारीफ की हकदार है |
जवाब देंहटाएंएक साक्षात्कार- हिन्दी रानी से बहुत ही रोचक एवं सहज़ सरल सा .. अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंइस प्रस्तुति के लिए आभार सहित बधाई
साक्षात्कार पर ,,मेरे विचार से
जवाब देंहटाएंहै जिसने हमको जन्म दिया,
हम आज उसे क्या कहते है\
क्या यही हमारा राष्ट्रवाद - ?
जिसका पथ दर्शन करते है,
हे राष्ट्र्स्वामिनी निराश्रिता
परिभाषा इसकी मत बदलो,
हिन्दी है भारत की भाषा,
हिन्दी को हिन्दी रहने दो,,,,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
shandar prastuti ...
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग..... विचारणीय भी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ऋता जी....
जवाब देंहटाएंमक्खन में डुबा कर जूता मारना शायद इसी को कहते हैं...
:-)
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं....
सस्नेह
अनु
शुक्रिया रविकर सर !!
जवाब देंहटाएंआपके साथ हम भी हिंदी को जन्मदिवस पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं
जवाब देंहटाएंऔर विज्ञापनी हिंदी को कैसे भुला दिया आपने -दाग देखते रह जाओगे ,ठंडा माने कोकोकोला ,आप अपनी बीवी को कित्ता प्यार करते हैं ?.बहुत ज्यादा !तब आप हाकिंस ही खरीदें .सफेदी की चमकार निरमा के साथ और सर !जी ,को कैसे भूल जाए जो रोज़ देतें हैं इक आइडिया.लाइफ बॉय से नहाने वालों की बात ही और है अकेला साबुन है जो ज़रासीमों को (जर्म्स )को मारता है ,जीवाणुओं का नाश करता है इसीलिए अस्पतालों में (खैराती अस्पतालों में )आज भी यही इस्तेमाल होता है .दिन रात हिंदी का प्रचार करतें हैं ये विज्ञापन .वोट के लिए तमाम तकरीरें हिंदी में ही होतीं हैं .और गाली गलौंज वह कब अंग्रेजी में होती है जी .
जवाब देंहटाएंबढ़िया भेंट वार्ता रही सखी के साथ आपकी .
रोचक साक्षात्कार .... जानकारी के साथ अच्छा व्यंग्य भी ।
जवाब देंहटाएंरोचक साक्षात्कार
जवाब देंहटाएंहिन्दी ना बनी रहो बस बिन्दी
मातृभाषा का दर्ज़ा यूँ ही नही मिला तुमको
और जहाँ मातृ शब्द जुड जाता है
उससे विलग ना कुछ नज़र आता है
इस एक शब्द मे तो सारा संसार सिमट जाता है
तभी तो सृजनकार भी नतमस्तक हो जाता है
नही जरूरत तुम्हें किसी उपालम्भ की
नही जरूरत तुम्हें अपने उत्थान के लिये
कुछ भी संग्रहित करने की
क्योंकि
तुम केवल बिन्दी नहीं
भारत का गौरव हो
भारत की पहचान हो
हर भारतवासी की जान हो
इसलिये तुम अपनी पहचान खुद हो
अपना आत्मस्वाभिमान खुद हो …………
हिंदी से साक्षात्कार और वार्तालाप के माध्यम से आपने कितना सटीक व्यंग्य और जानकारी भी दी है बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन पोस्ट के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार और सटीक व्यंग वो भी बहुत सुन्दर अंदाज़ में..वाह:ऋता ..हिंदी को जन्मदिवस पर बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब |
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |
सराहनीय साक्षात्कार .ख़ामोशी में आपकी कृष्ण जी से सम्बंधित रचना बहुत पसंद आई .हिन्दी दिवस की शुभकामनायें . .औलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शालिनी जी !!
हटाएंअतिसुंदर |
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