मैं तुम्हारे सपनों का सपना
मैं बाहर आने से डरता हूँ
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो|
यथार्थ का धरातल है पथरीला
गिरा, चकनाचूर हो जाऊँगा|
जीवन समुद्र के बड़े भँवर में
फँसा, चक्कर खा जाऊँगा|
जीवन पथ है बड़ा कंटीला
चला, लहुलुहान हो जाऊँगा|
जीवन पथ पर खड़े तुंग हैं
टकरा, औंधे मुँह गिर जाऊँगा|
निराशा की घटा है काली
मिली, अश्रु बन टपक जाऊँगा|
विषाद की पीड़ा बड़ी घनेरी
झेल, सुबक सुबक
सिसकी बन जाऊँगा|
जीवन नैया है हल्की फुल्की
डगमग, लहरों में बह जाऊँगा|
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो|
मैं बाहर आने से डरता हूँ|
मैं तुम्हारे सपनों का सपना
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो|
निर्मम निष्ठुर पल में खिड़की से
झाँक तुम्हे लुभाऊँगा|
किसी घनघोर विषम घड़ी में
आशा की ज्योत जलाऊँगा|
तोड़ असफलताओ की श्रृंखला
मैं जिगीषा बन जाऊँगा|
बर्बर की उग्रता सह-सह कर
निडरता का पाठ पढ़ाऊँगा|
गरल अपमान का पी-पी कर
पीयुष तुम्हें बनाऊँगा|
अभिराम क्षण में विस्मृत पल
स्मरण करा तुम्हें गुदगुदाऊँगा|
जीवन के वानप्रस्थ में
मैं मुमुक्षु बन जाऊँगा|
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो||
ऋता शेखर ‘मधु’
अभिराम क्षण में विस्मृत पल
जवाब देंहटाएंस्मरण करा तुम्हें गुदगुदाऊँगा|
जीवन के वानप्रस्थ में
मैं मुमुक्षु बन जाऊँगा|
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो|..सच है सपने हमें सबलता स
देते है ..बहुत सुन्दर..
बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंआपने पूरी जिंदगी का सार कुछ ही पंक्तियों में परोस दिया |
सादर नमन |
एक सकारात्मक सोच और उत्साहवर्धन करती सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंमुझे सपना ही रहने दो
जवाब देंहटाएंसपनों में मैं सबकुछ हूँ
सपने से परे एक कंकाल
तुम डरोगे
मैं सर झुका लूँगा
....... मुझे सपना सलोना ही रहने दो.
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
सपनों की मखमली जमीन यथार्थ के पत्थरों से छली /छिली है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
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