दिगम्बर नासवा जी के ब्लॉग पर ग़ज़ल का सबसे छोटा रूप देखा...वैसा उत्कृष्ट तो नहीं लिख सकती पर कोशिश करने में हर्ज़ क्या है...त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
बागवान
परेशान
बँगला है
आलीशान
भरा हुआ
सामान
बेटी वाले
भाग्यवान
पुत्र निकला
पाषाण
हृदय का
वियाबान
खाली दिमाग
शैतान
मन में नहीं
सम्मान
शरीर चाहे
विश्राम
जान है तो
जहान
वृद्ध का कमरा
सुनसान
उसे जाना है
श्मशान
ऊपर में
भगवान
धरती पर
इंसान
गाएँ अपनी
दास्तान
ऋता शेखर ‘मधु’
वाह इस अंदाज पर
जवाब देंहटाएंहम हुए कुर्बान
:-):)
हटाएं
जवाब देंहटाएंवाह,,,ऋता जी,
निराले अंदाज प्रस्तुति का जबाब नही,,लाजबाब,,,
RECENT POST : गीत,
लेखनी में
जवाब देंहटाएंअटकी है जान
सो लिखते रहो
मेहरबान कदरदान..
:-)
बढ़िया है ऋता जी...
सस्नेह
अनु
क्या बात..... उत्तम शब्द समन्वय
जवाब देंहटाएंBahut khub..bahut khub...
जवाब देंहटाएंYe kuchh jyada hi utkrishth ho gya......
Sadar .
दिगंबर साहब की गजलों का क्या कहना |
जवाब देंहटाएंसिद्धहस्त हैं दिगंबर जी-
आपने भी मस्त रचा है-
बधाई आपको -
बढ़िया ||
वाह कितनी सुन्दर ग़ज़ल है आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंवृद्ध का कमरा
सुनसान
कल 01/10/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत जी !!
हटाएंयह गज़ल भी नासवा जी की गज़ल से कम नहीं. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबधाई.
शुक्रिया शास्त्री सर !!
जवाब देंहटाएंलाजबाब ......
जवाब देंहटाएंkaabile tareef..
जवाब देंहटाएंरचना है
जवाब देंहटाएंमहान
हो रहा
गुंजायमान
ले लो बधाइयाँ
और सम्मान
शुक्रिया यशोदा जीः)
हटाएंउत्साहवर्धन के लिए आप सभी का आभार...
शुभकामनाएँ आप सबको!!
मधुर मधुर गुंजन गुंजायमान हो
जवाब देंहटाएंरहा है आपकी इस प्रस्तुति में
आभार ऋता जी.
भाव, भाषा एवं अभिव्यक्ति सराहनीय है। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंaapki kavita hai mahan
जवाब देंहटाएंjo pade vo jaye jaan
बहुत सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जब भी समय मिले, मेरे नए ब्लाग पर जरूर आएं..
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/09/blog-post.html?spref=fb
दिगम्बर जी की तो ग़ज़लें शानदार होती हैं...और वो छोटी गजलों का जो उन्होंने एक्सपेरिमेंट किया है वो तो शानदार है...
जवाब देंहटाएंदीदी, लेकिन आपकी भी ये छोटी ग़ज़ल बेहद अच्छी बनी हुई है.....
kahna uchit to n hoga lekin mano nasva ji ki gazal ko takkar deti hui si.
जवाब देंहटाएंprabhav chhodti gazal.
सुंदर .
जवाब देंहटाएंमैं भी हौरान
जवाब देंहटाएंपरेशान हूँ
कैसे सागर
एक गागर में...
सुंदर दास्तान ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ऋता जी ...!!