रविवार, 9 सितंबर 2012

कैसे बिगाड़ूँ...




कैसे बिगाड़ूँ...

एक बार परमनारायण विष्णु एवं ब्रह्मा जी के सुपुत्र नारद जी भ्रमण के लिए पृथ्वीलोक पधारे| पृथ्वी पर पूजा-पाठ की कमी नहीं थी| हर ओर विष्णु-लक्ष्मी और शिव की पूजा-अर्चना चल रही थी|घर-घर में ओम् जय लक्ष्मी माता एवं ओम् जय जगदीश हरे की आरती हो रही थी|क्या अमीर, क्या गरीब ,सभी पूजा में लिप्त थे| विष्णु भगवान यह सब देख-देख कर प्रसन्न हो रहे थे| खुश होकर उन्होंने सिक्कों से भरी एक थैली एक धनवान सेठ के यहाँ रख दिया| उसके बाद एक गरीब के घर से गुजरे| यहाँ पर उन्होंने उस गरीब को सिर्फ आशीर्वाद दे दिया| नारद मुनि को यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी|जो पहले से ही धनवान है उसे ही और धन किसलिए, जबकि धन की आवश्यकता तो गरीब को थी| आखिर उन्हें नहीं समझ में आया तो उन्होंने विष्णु जी से पूछ ही लिया| विष्णु जी के मुख पर मंद मुसकान छा गई| उस वक्त वे कुछ नहीं बोले और आगे बढ़ गए| चलते-चलते जब थक गए तो एक स्थान पर रुक गए| वहाँ पर बैठने के लिए कुछ नहीं था| विष्णु भगवान ने नारद जी को आदेश दिया कि बैठने के लिए कहीं से ईंट लेकर आएँ| नारद जी ईंट की खोज में निकले| कुछ दूर जाने पर उन्हें दो कुएँ मिले| एक कुआँ बहुत सुन्दरता से बना हुआ था, उसकी मुँडेर अच्छी बनी हुई थी| दूसरा कुआँ थोड़ा टूटा-फूटा था|मुँडेर पर जगह जगह पर ईंट निकली हुई थी| नारद मुनि ने टूटे कुएँ से ईंट निकाली और बैठने के लिए ले आए| अब इत्मिनान से दोनों बैठ गए| विष्णु भगवान ने पूछा कि टूटे कुएँ से ही उन्होंने ईंट क्यों निकाला| नारद जी ने कहा-अच्छे कुएँ से ईंट निकालने का मन नहीं हुआ,वहाँ से ईंट निकलते ही उस कुएँ की सुन्दरता खराब हो जाती| टूटे कुएँ से एक ईंट और निकल गया तो क्या हुआ|
अब विष्णु भगवान ने कहा कि तुमने मुझसे जो प्रश्न किया था उसका उत्तर तुम्हे मिल गया| बनी-बनाई चीज को हानि पहुँचाने से पहले हमें भी सोचना पड़ता है| नारद जी ने फिर कुछ नहीं कहा|
ऋता शेखर मधु

13 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर ...
    कितनी बड़ी बात समझा गए भगवन...
    सस्नेह
    अनु

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  2. सकारात्मक संदेश देती बढिया लघुकथा
    बहुत बढिया

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  3. बढ़िया कथा .... पर क्या जो अच्छा न हो तो उसे नहीं सुधारना चाहिए ?

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    1. यही मैं भी जानना चाहती हूँ...भगवान धनी को ही धनी बनाते जाएँगे तो गरीबों का क्या होगा?

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  4. कई दिनों बाद आना हुआ आपके ब्लॉग पर ...सभी रचनाएं अच्छी लगीं

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  5. karm karo tab phal paaoge ...
    waah kitni sundar baat ...
    prabhavi laghu katha ...

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  6. आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा...

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